आश्रमका महत्त्व (भाग – १०)


आश्रममें इन्द्रिय निग्रह सिखाया जाता है, जो सुखी जीवनकी होती है कुञ्जी : आश्रम कितना भी बडा हो, वहां घर समान कलह-क्लेश नहीं होता; सभी, अपनी इन्द्रियोंका निग्रह कैसे कर सकते हैं ?, यह सिखाया जाता है । ऐसेमें उस व्यक्तिके दोष एवं अहम् न्यून होने लगता है । आपका घर यदि कलह-क्लेश विरहित हो जाए तो पृथ्वीपर स्वर्गका सुख मिलने लगता है । बिना अधिक सुख-साधनके या मनोरंजनके रहते हुए हम आनन्दमें कैसे रह सकते हैं ?, यह सीखनेका उत्तम स्थल है, आश्रम ।



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