कुछ लोग हमसे अपना आध्यात्मिक स्तर जानना चाहते हैं तो अपने स्तर जाननेका एक सरलसा सिद्धान्त समझ लें ! व्यष्टि साधनाके साथ ही आपमें राष्ट्र एवं धर्मकार्य हेतु निष्काम भावसे अपने तन, मन, धन एवं कौशल्यको त्याग करनेकी वृत्ति जितनी अधिक होगी, आपका आध्यात्मिक स्तर उतना ही अधिक होगा एवं आपमें ईश्वरप्राप्ति या साधनाके प्रति या चित्तके वृत्तियोंके निरोध करनेकी जितनी निष्ठा अल्प होगी एवं त्यागकी भावना न्यून होगी, आपका आध्यात्मिक स्तर उतना ही न्यून होगा । संक्षेपमें यदि आपका अखण्ड मानसिक जप हो रहा है या अपने विषय-वासनाओंको नियन्त्रित करने हेतु सतत् प्रयत्न हो रहे हों एवं आप प्रतिदिन राष्ट्र एवं धर्मकार्य हेतु तीनसे चार घण्टे निष्काम भावसे किसी सन्तके मार्गदर्शनमें अर्पण करते हैं एवं आपके धनका त्याग २० से २५% तक इसी निमित्त होता है तो आपका आध्यात्मिक स्तर ५०% के समकक्ष है, ऐसा समझ सकते हैं । संक्षेपमें अपना आध्यात्मिक स्तर बढाने हेतु अपने दोषोंके निर्मूलनके साथ ही अखण्ड नामस्मरण करनेका प्रयास करें एवं हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना निमित्त या किसी सन्तके कार्य निमित्त यथाशक्ति निष्काम भावसे योगदान दें ! सम्पूर्ण विश्वमें ५०% से अधिक आध्यात्मिक स्तरके व्यक्तिकी संख्या वर्तमान समयमें (ख्रिस्ताब्द २०१६) मात्र ८०,००० है एवं ६०% से अधिक व्यक्तियोंकी संख्या मात्र ८००० है । इससे ही समझ लें कि सामान्य व्यक्ति जो थोडी बहुत साधना (दोसे तीन घण्टे) करते हुए मात्र अपने स्वार्थपूर्ति हेतु कृतिशील रहता है उनका आध्यात्मिक स्तर ३० से ३५% के आसपास होता है । अतः आध्यात्मिक स्तर बढाने हेतु व्यष्टि साधनाके साथ ही समष्टि साधना करनेका प्रयास करें ! – तनुजा ठाकुर (१५.५.२०१६)
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