अग्निहोत्रकी भस्मका उपयोग सूक्ष्म सप्तचक्र शुद्धि हेतु किया जा सकता है । इससे सप् चक्रोंमें अनिष्ट शक्तियोंद्वारा जो आवरण निर्मित किया जाता है, वह इसके नित्य उपयोगसे दूर हो जाता है । जिन्हें अधिक शारीरिक एवं मानसिक कष्ट हो, वे इस आध्यात्मिक उपचारको करके देखें, इससे आपको बहुत अधिक लाभ मिलेगा । यह उपचार एक तो रात्रिमें सोनेसे पूर्व करें और साथ ही स्नानके पश्चात भी अपने सभी सूक्ष्म चक्रोंके मूल स्थानपर जाकर इसे लगाएं ! सूक्ष्म सप्तचक्र शुद्धि जो भी शारीरिक एवं मानसिक रोग आध्यात्मिक स्वरूपका होता है, उसमें तो यह प्रभावी उपचार है ही, साथ ही सामान्य शारीरिक एवं मानसिक उपचार हेतु भी यह बहुत लाभदायक सिद्ध होता है । आप यदि यह नहीं कर सकते हैं तो नित्य अग्निहोत्रकी भस्मका तिलक एक माहतक लगाकर देखें, आपको स्वतः ही स्वयंमें बहुत परिवर्तन दिखाई देगा ।
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