अग्निहोत्रके सुखद परिणाम


आपको बताया ही था कि पिछले एक माहसे मैं नियमित विधिपूर्वक अग्निहोत्र कर रही हूं । उसके सुखद परिणाम आने आरम्भ हो गए हैं । एक तो मेरी प्रातःकालीन दिनचर्या पूर्व समान व्यवस्थित हो गई है । एक और बात ध्यानमें आई है, हमारा आश्रम ग्रामीण क्षेत्रमें है, साथ ही चारों ओर खेत हैं और उनमें फसल लगी है, आश्रम परिसर वर्षा ऋतुके कारण हरा-भरा है और थोडी ही दूरीपर वन क्षेत्र भी है । जबसे हम यहां आए है तो कभी मच्छर तो कभी बरसाती कीडे आश्रम परिसरमें एवं कक्षमें बडे प्रमाणमें आ जाया करते थे । फरवरी माहमें तो इतने अधिक मच्छर हो गए थे कि हमें कीटनाशक औषधिका प्रयोग करना पडा था; किन्तु पिछले एक माहसे अर्थात जबसे अग्निहोत्र आरम्भ किया है, तबसे न ही मच्छर और न ही कीडे आश्रमके भीतर या बाहर दिखाई देते हैं । अब मुझे समझमें आ रहा है कि हमारे ऋषि-मुनि कैसे पूर्व कालमें वन क्षेत्रमें ऐसे ही यज्ञोंके सहारे सहज ही रहा करते थे ।



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