प्रश्न : यदि मैं सन्ध्याको अग्निहोत्र हवन करता हूं और किसी दिन सन्ध्याको न कर सकूं तो क्या उस दिनका हवन अगले दिवस प्रातःकालमें कर सकता हूं ?
उत्तर : नहीं ! इस यज्ञमें प्रत्येक दिवसकी आहुति उसी दिवस दी जाती है । यदि किसी दिन अपरिहार्य कारणोंसे नहीं कर पाए तो सूक्ष्मसे उसी समय अस्ताचल सूर्यका वन्दनकर सूक्ष्मसे ही अग्नि प्रज्ज्वलितकर, आहुति दें; किन्तु एक समयका अग्निहोत्र करनेका शास्त्रोंमें कोई विधान नहीं है और न ही ऐसा विधान है कि यदि किसी दिवस हम सन्ध्या समय न कर पाए तो उसके स्थानपर अगले दिवस कर सकते हैं । वस्तुत: अग्निहोत्र प्रातःकालीन सूर्यके आवाहन एवं सन्ध्याकालीन सूर्यके अस्त होनेपर उनके प्रति हवनद्वारा कृतज्ञता व्यक्त करनेका एक सुन्दर विधान है । अब अतिथि रात्रिमें जाना चाहते हैं तो उन्हें रात्रिमें ही विदाई देनी होगी । यह नहीं हो सकता है कि आपके पास समय नहीं है; इसलिए आपको जब समय मिले तो आप उनकी विदाई करेंगे । इसी प्रकार सूर्य देवताके उदय और अस्तका समय निश्चित होता है, हमें उसी समय अग्निहोत्र करना होता है ।
हमें ज्ञात है कि आजकी निधर्मी सामाजिक व्यवस्थाके कारण अनेक लोग चाहकर भी अग्निहोत्र नहीं कर पाते हैं; इसलिए हिन्दू राष्ट्रमें सभी कार्यालय एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान प्रातः आठ या नौ बजे खुलेंगे एवं सन्ध्या चार या पांच बजे बन्द हो जाएंगे, जिससे सभी लोग सन्ध्याकालीन साधना कर सकें । हिन्दू राष्ट्रमें रविवार या अन्य किसी दिवस साप्ताहिक अवकाश नहीं होगा; अपितु मात्र जिस दिवस साधना हेतु आवश्यक व्रत-त्योहार या धार्मिक कार्यक्रम होंगे, उसी दिवस मात्र अवकाशका विधान होगा ।
जी हां ! राष्ट्र धर्म सापेक्ष होनेसे हम यह सब नियम हिन्दू राष्ट्रसे सरलतासे लागू कर पाएंगे; इसलिए कहती हूं कि हिन्दू राष्ट्र हेतु कृतिशील हों, यही हमारी सभी समस्याओंका एकमात्र समाधान है ।
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