वर्षाने सोचा होगा मेरा फईम वैसा नहीं, ससुरालमें मृत्युके पश्चात बहनने बताया, “प्रतिदिन होती थी पिटाई, शाकाहारी थी, लेकिन धुलवाते थे मांस”


१५ नवम्बर, २०२१
        आगराके शाहगंज क्षेत्रके आलमपाडाकी रहनेवाली वर्षा रघुवंशीने करीब डेढ वर्ष पूर्व कोरोनाके कारण लगी गृहबन्दीके समय मुसलमान युवक फईम कुरैशीके साथ विवाह किया था और कुछ दिन पूर्व ही उसका शव उसके घरमें फांसीके फंदेसे लटकता मिला था । इसके पश्चात क्षेत्रमें तनाव पैदा हो गया था । जब मृतकाके शवको उसके माता-पिता ले जाने आए, तब क्षेत्रके मुसलमानोंने हिन्दुओंपर आक्रमण किया और ‘पत्थरबाजी’ की।
      प्रतिवेदनके अनुसार, फईमके चंगुलमें फंसकर वर्षाने इस्लाम अपना लिया था और वह वर्षासे जोया बना गई थी । दुष्यंतके अनुसार, उस मध्य वर्षाने उन्हें स्पष्ट कहा था कि उसने अपना मन बना लिया है और बवयस्क होनेके कारण वह जिससे चाहे विवाह कर सकती है । दुष्यंतने कहा कि फईमने विवाहको लेकर उनके परिवारसे कभी कोई बात नहीं की थी । दुष्यंतका कहना है कि वे लोग विधानके अनुसार वर्षाको फईमसे विवाह करनेसे नहीं रोक सकते थे; परन्तु उसके परिवारको ये सम्बन्ध स्वीकार नहीं था; इसलिए उन्होंने वर्षासे सारे सम्बन्ध समाप्तकर, घरके द्वार उसके लिए सदैवके लिए बन्द कर दिए ।
      वर्षाकी बहन खुशबूने बताया कि उसकी बहन फईमके साथ आरम्भसे ही अप्रसन्न थी । खुशबूने कहा, “आरम्भसे ही उसने फईमके परिवारद्वारा किये जा रहे दुर्व्यवहारका परिवाद किया था । दोनोंमें बहुत सारे सांस्कृतिक अन्तर थे । हम भोजनमें प्याज या लहसुन भी नहीं डालते; परन्तु वर्षासे प्रतिदिन मांसको स्वच्छ करने और पकानेको कहा जाता था । उससे जब भी कोई चूक होती, तो फईम उसे अत्यधिक पीटता ।” खुशबूका कहना है कि वर्षाने उसे बताया था कि एक ‘मौलवी’ नियमित रूपसे उसे ‘नमाज’ और मुसलमान धर्म सिखानेके लिए घर आता था।
      खुशबूने बताया कि उसे घरमें बन्दी बनाकर रखा जाता था और उसे मायकेवालोंसे बाततक नहीं करने दिया जाता था । वर्षा जब-जब भी उन्हें दूरभाष करती, तो फईम दूरभाष छीन लेता था । खुशबू ने बताया कि वर्षा छूपकर उसे किसी अन्यके दूरभाषसे बात करती थी । खुशबूने बताया, “उसकी सास वर्षाको प्राय: ‘झाड-फूंक’के लिए ‘मौलवी’के स्थानपर ले जाती थी । वहां ‘मौलवी’ उसे खानेके लिए कुछ देता था।
        जिहादी हिन्दू युवतियोंको फंसानेके लिए नित्य नूतन षड्यन्त्र करते हैं और उनके जीवन नारकीय बनाकर हत्या कर देते, जिसमें जिहादीका पूरा परिवार साथ देता है । ‘लव-जिहाद’के लिए बना नूतन विधान  और प्रशासनिक कार्यवाहीका, उन्हे कोई भी भय नहीं होता है । जबतक हिन्दू निद्रस्थ रहेगा तबतक युवतियोंकी ऐसे ही बलि चढती रहेगी । हिन्दू राष्ट्रकी कितनी आवश्यकता है ? यह उपर्युक्त घटनासे हमें ज्ञात होता है ? – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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