अहं निर्मूलन (भाग-३)


अहंके लक्षण : मनानुसार आचरण करना 
इस लक्षणको आपने इस कोरोना महामारीमें कालमें सम्पूर्ण भारतमें देखा होगा । अहंकारी व्यक्तिका यह प्रमुख दुर्गुण होता है कि वह किसीकी बात नहीं मानता, यहांतक प्राण संकटमें हो सकते हैं, यह जाननेपर भी वह प्रशासनद्वारा लगाए गए सभी प्रतिबन्धोंकी अवहेलनाकर अपने वर्तनसे स्वयंको, अपने कुटुम्बको एवं समस्त देशवासियोंके प्राणोंको संकटमें डालनेसे भी नहीं चूकता है । आज इस देशमें कोरोना महामारीका प्रकोप ऐसी वृत्तिवाले लोगोंके कारण अधिक फैला है, इस तथ्यको कोई भी राष्ट्रभक्त अस्वीकार नहीं कर सकता है । इससे, अहंके लक्षणोंको समझकर उन्हें दूर करना व्यष्टि एवं समष्टि जीवन हेतु कितना आवश्यक है ?, यह आपको ज्ञात होता है ।
        धर्मप्रसारके मध्य मैं एक व्यक्तिसे मिली । उनके घरमें आर्थिक कष्ट बहुत अधिक था । उनकी पत्नीने बताया कि उनके पति सेनामें थे सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि एक दिवस अकस्मात उनके पतिने सेनाकी चाकरीसे त्यागपत्र दे दिया; क्योंकि उनके वरिष्ठ अधिकारीने उनके अहंको चोट पहुंचानेवाली कोई बात कह दी थी । उनकी पत्नीने कहा, “जबसे हमारा विवाह हुआ है, तबसे मैं इनकी अहंकारी वृत्तिसे बहुत व्यथित रही थी; किन्तु यह नहीं ज्ञात था कि दो छोटे बच्चोंका भी इन्हें ध्यान नहीं रहेगा और ये मात्र इनके अहंको ठेस पहुंचनेके कारण सब कुछ छोड आएंगे । मैंने उनसे कहा, “कोई बात नहीं वे किसी निजी प्रतिष्ठानमें चाकरी कर लेंगे तो उन्होंने बताया कि चार वर्षमें दस चाकरी वे छोड चुके हैं । कहीं उन्हें नियममें बद्ध रहना अच्छा नहीं लगता है, कहीं उन्हें अपने वरिष्ठके वर्तनसे समस्या हो जाती है तो कहीं उन्हें उनके मनके अनुकूल कार्य नहीं मिलता तो वे त्यागपत्र दे देते हैं ।
       जब मैं उनके घरमें धर्मप्रसारके लिए रुकती थी तो आरम्भमें वह स्त्री मुझसे ठीकसे बात नहीं करती थी; किसी प्रकार उनसे मित्रताकर जब वार्तालाप किया तो ज्ञात हुआ कि वे अपनी पतिके वर्तनसे क्षुब्ध थीं। उनका कहना था कि अभीतक उन्होंने पांच आध्यात्मिक संस्थाओंसे जुडकर उन्हें छोड दिया है; इसलिए अब मुझे किसी आध्यात्मिक संस्थासे जुडनेकी इच्छा नहीं होती है । अर्थात मैं इस प्रसंगसे क्या बताना चाहती हूं कि जिस व्यक्तिमें अहं अधिक होता है वह कहीं भी स्थिर नहीं रह पाता । बातचीतसे ज्ञात हुआ था कि उनके पतिमें अहं बहुत अधिक होनेके कारण उन्हें मनोविकार हो गया था और उन्हें इसी कारणसे अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट भी अधिक था । ध्यान रहे अधिक दोष और अहंवाले व्यक्तिको अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट भी अधिक होता है इसलिए इन्हें दूर करना अति आवश्यक है ।


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