मार्च ९, २०१९
शुक्रवार, ८ मार्च, २०१९ को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवसके अवसरपर उत्तर प्रदेशके एक अधेड सौतेले पिता तस्लीम अहमदद्वारा तलाकशुदा सौतेली पुत्रीसे विवाह करनेका प्रकरण चर्चाका विषय बना हुआ है । जसपुर पुलिससे इस बारेमें परिवाद करनेवाली महिला ठाकुरद्वाराकी निवासी आरोपितकी पत्नी है ।
जसपुरके (उत्तराखण्डड, जनपद उधम सिंह नगर) एक गांव निवासी तस्लीम अहमदने अपनी पत्नीकी मृत्यु होनेके पश्चात क्षेत्रके एक गांवकी विधवा महिलासे निकाह किया था । महिलाके साथ उसकी एक व्यस्क पुत्री (तबस्सुम) भी साथ आई थी । कुछ समय पश्चात महिलाने अपनी पुत्रीका विवाह मुरादाबादके पाकबडामें कर दिया; परन्तु पतिसे कहा सुनी होनेपर उसे (तबस्सुमको) उसके पतिने तलाक दे दिया ।
तबसे वह अपनी मांके साथ मायकेमें रह रही थी । युवतीकी मांका आरोप है कि इस मध्य २२ वर्षीय युवतीको उसके ४५ वर्षीय सौतेले पिताने अपने प्रेम जालमें फांस लिया । तस्लीमने कुछ दिन पूर्व सौतेली पुत्रीको अन्य स्थानपर ले जाकर उलेमाको भ्रमितकर युवतीसे निकाह कर लिया, जिसकी जानकारी युवतीकी मांको लगी तो उसने हंगामा आरम्भ कर दिया । जिसपर उसके पतिने महिलाको तलाक दे दिया और पत्नीके स्थानपर अपनी सौतेली पुत्रीको ही साथ रखनेकी बात कही ।
इसपर सौतेली पुत्रीकी मांने जसपुर कोतवालीमें प्रार्थना-पत्र देकर आरोपी पतिके विरुद्घ कार्यवाहीकी मांग की; परन्तु पुलिसने दोनों पक्षोंको यह कहकर शान्त कर घर भेज दिया कि प्रकरण आपसमें मिलकर सुलझा लें ।
उधर जसपुरकी चांद मस्जिदके इमाम शाकिर हुसैनका कहना है कि सौतेली पुत्रीसे निकाह करना ‘शरियत’के अनुसार ‘हराम’ है । मुस्लिम समुदायके लोगोंको ऐसे लोगोंका बहिष्कार करना चाहिए । यह घटना क्षेत्रमें भी चर्चाका विषय बनी हुई है ।
“ शरियत इसकी आज्ञा देता है तभी तो आज धर्मान्धोंने आज समाजमें उच्छृंखलता निर्माण करते हुए मानव सभ्यताके सभी नियमोंको नष्ट कर दिया है ! महिला तो उनके लिए बच्चेकी मशीन मात्र है, फिर वह मशीन उसकी अपनी पुत्री ही क्यों न हो ! उनके लिए कोई भी कृत्य लज्जाजनक नहीं होता है ! यदि हम अपने समाजको इस कोढसे बचाना चाहते हैं तो सभीने इसके विरुद्घ खडा होना चाहिए, अन्यथा यह कोढ समूचे समाजको ही ग्रस लेगा !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : ऑप इण्डिया
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