वर्ष २०२३ तक सभी साधक और सन्तवृन्दको तीव्रतम कष्ट होनेवाला है । कालचक्र विपरीत दिशामें घूम रहा है; अतः पूरे विश्वमें अभी कुछ वर्ष यह क्रम चलेगा । आपके (साधकोंके) कष्ट और आपके कुटुम्बको होनेवाले कष्टसे आपकी श्रद्धा ईश्वर और गुरुसे कम न हो और हम सब सकुशल जीवित रह जाएंं, यह इस कालकी सबसे बडी उपलब्धि होगी । इस कालखण्डमें आपपर निरन्तर गुरुकृपा या ईश्वर कृपा रहे इस हेतु या तो किसी सन्तकी सेवामें रहें या धर्मकी सेवा निष्काम एवं अखण्ड रूपसे करें ! मात्र यह ही आपको कवच दे सकता है, शेष कुछ भी आपकी रक्षा करनेमें सक्षम नहीं, यह एक कटु सत्य है । जितना अधिक सतमें रहनेका प्रयास करेंगे, उतना अधिक आपपर ईश्वरीय कृपाका सम्पादन होगा । ध्यान रहे ! इस कालमें विश्वकी तीससे चालीस प्रतिशत जनसंख्या नष्ट होनेवाली है, ऐसे विनाशकारी कालके मध्य हम सब खडे हैं। अखण्ड नामजप और धर्म या सन्त हेतु तन, मन, धनका त्याग यह ही अगले कुछ वर्षोंके लिए आपका कवच है ।
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