अवसाद (डिप्रेशन), आत्महत्याके विचार आना, अत्यधिक क्रोध आना और उस आवेशमें अपना आपा पूर्ण रूपसे खो देना, मनमें सदैव वासनाके विचार आना, नींद न आना, अत्यधिक नींद आना, शरीरके किसी भागमें वेदना होना और औषधिद्वारा उस वेदनाका ठीक न हो पाना, मनका अत्यधिक अशांत रहना, व्यवसायमें सदैव हानि होना, परीक्षाके समय सदैव कुछ न कुछ अडचन आना , घरमें सदैव कलह-क्लेश रहना, लगातार गर्भपात होना, सतत आर्थिक हानि होना, रोगका वंशानुगत होना, व्यसनी होना, सतत अपघात या दुर्घटना होते रहना, नौकरी या जीविकोपार्जनमें सदैव अडचन होना, सामूहिक बलात्कार, समलैंगिकता, भयावह यौन रोग यह सब अनिष्ट शक्तियोंके कारण हो सकते हैं |परात्पर गुरु – तनुजा ठाकुर
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