उत्तर प्रदेशके अलीगढ जनपदकी श्रीमती जूही चौहानकी बहनके विवाह सम्बन्धी अनुभूतियां


The Hands Of An Indian Gujarati Bride And Bridegroom, A Ritual Performed In An Indian Gujarati Wedding, India

मेरी बहन जिस युवकसे विवाह करना चाहती थी, उससे विवाहके लिए मेरे माता-पिता सिद्ध (तैयार) नहीं थे; इसलिए उसका विवाह नहीं हो पा रहा था । ‘उपासना’से जुडनेके पश्चात मुझे समझमें आ गया था कि हमारे घरमें तीव्र स्तरका पितृदोष है । मैंने साधना आरम्भ की और साथ ही धर्मप्रसारकी सेवा आरम्भ कर दी । मुझे अत्यधिक आनन्द मिलने लगा और हमें व्यावहारिक दृष्टिसे भी अनेक लाभ हुए । मैंने अपनी छोटी बहनको भी साधना और पूज्या तनुजा मांके बारेमें बताया । वह तनुजा मांसे मिलने आई और उसने भी साधना आरम्भ कर दी । लगभग इस बातको आठ महीने हो गए होंगे, एक दिवस मेरे मनमें विचार आया कि पता नहीं मेरी बहनके विवाहके बारेमें कुछ सकारात्मक लक्षण नहीं दिख रहे और उससे कुछ दिवस उपरान्त मेरे माता-पिता मेरी छोटी बहनके विवाहके लिए मान गए । विवाह निश्चित होनेके पश्चात जब पूज्या मां मेरे घर कुछ दिवस हमारे जनपदमें होनेवाले सत्संग हेतु रुकी थीं तो मेरी छोटी बहन पूज्या मांसे मिलने आई । वह अत्यधिक प्रसन्न थी और उनके सत्संगमें सहभागी हुई और सेवा करने लगी । वह पूज्या तनुजा मांके लिए प्रेमसे भोजन बनाती और सवेरेसे देर राततक मेरे घरपर रहती, सम्भवतः उसका सेवभाव देखकर पूज्या मांने मुझसे कहा कि अगले सप्ताह इंदौरमें बडे स्तरपर पांच दिवसीय आध्यात्मिक शिविर है, इसे भी अपने साथ वहां ग्रन्थ प्रदर्शनीकी सेवा हेतु अपने साथ ले आओ । मेरी बहनको पूज्या तनुजा मांका साथ अत्यधिक अच्छा लग रहा था; इसलिए उसने भी तुरन्त हामी भर दी । इंदौरमें मेरी बहनने मनसे सेवा की और जब भी सेवाके मध्य उससे कुछ चूक होती, पूज्या मां उसे तुरन्त बताती और उसे वह नम्रतापूर्वक स्वीकारकर उसमें सुधार करनेका प्रयास करती । पूज्या मांने एक दिवस सहज ही मेरी बहनसे कहा कि आपके विवाहमें कुछ अडचनें थीं; परन्तु अब सब नष्ट हो गया है और आपका विवाह निर्विघ्न सम्पन्न होगा । मेरी बहन पूज्या मांके इस आशीर्वादसे अत्यधिक प्रसन्न हो गई । पूज्या मांने विवाहमें अनिष्ट शक्ति किसी प्रकारके विघ्न न डाले, इस हेतु हमें नामजप और प्रार्थना करनेके लिए कहा और हम दोनोंने वह करनेका प्रयास भी करने लगे ।
पूज्या तनुजा मांके आशीर्वाद किस प्रकार फलीभूत हुए ? यह आपको विवाहके मध्य हुई कुछ अनुभूतियोंके माध्यमसे बताती हूं ।
१. २२ जनवरी २०१३ अर्थात विवाहवाले दिवस ‘हलवाई’ कार्य कर रहे थे, भोजन खुलेमें बन रहा था और पूरे दिन मेघ (बादल) छाए रहे । हलकीसी फुहार आ-आकर वर्षा रुक गई । जब सभी आमन्त्रित परिचित और घरके लोग भोजन कर चुके और ‘हलवाई’ सारी सामग्री नीचेके कक्षमें रखकर चले गए तब तीव्र वर्षा ही नहीं हुई; अपितु ओले भी बरसे ।
२. सभी डर रहे थे कि अत्यधिक ठण्ड है; इसलिए विवाहमें थोडी अडचन आएगी; परन्तु विवाहके दिवस पूर्वसे ही अत्यधिक खिली हुई धूप निकली और विवाहवाले दिन सब बिना ऊनी वस्त्रोंके हम सब घूम रहे थे । उसके अगले दिवससे पुनः ठण्ड अत्यधिक बढ गई ।
३. विवाहकी सभी विधियां शान्तिपूर्वक और अच्छेसे हुईं ।
४. भोजन सामग्री कभी भी कम नहीं पडी और प्रतिदिन सभीको अत्यधिक बांटी भी, ऐसा लगा मां अन्नपूर्णाकी कृपा हो गई थी ।
५. कोई भी वस्तु न खोयी, न चोरी हुई, मेरी मां भी आश्चर्यचकित थी कि इतने बडे कार्यमें कुछ भी इधर-उधर नहीं हुआ ।
मेरी बहन अपने वैवाहिक जीवनमें अत्यधिक प्रसन्न है और वह ससुरालमें जितना सम्भव होता है नामजप और प्रार्थना इत्यादि करनेका प्रयास करती है और यह सब पूज्या मांके आशीर्वादके कारण ही सम्भव हो पाया है । – जूही चौहान (२.८.२०१३)
अनुभूतिका विश्लेषण : यदि घरमें पितृदोष हो तो घरमें विवाह न होना, विवाहके मध्य भिन्न माध्यमोंसे अडचनें आना, जैसे कष्ट होनेकी आशंका होती है; अतः ऐसी स्थितिमें योग्य प्रकारसे साधना करनी चाहिए । यदि घरमें पितृदोष हो तो पितर विवाह रूपी यज्ञमें अवश्य ही अडचनें निर्मित करेंगे, ऐसेमें जैसे ही विवाहकी तिथि निश्चित हो जाए तो इस प्रकार संकल्प लेकर ‘श्रीगुरुदेव दत्त-ॐ नमः शिवाय’ एकके पश्चात एककर, यह नामजप विवाह होनेतक प्रत्येक दिवस, पन्द्रह मिनटतक नियमित करें ! नामजप करनेसे पूर्व इस प्रकार प्रार्थना करें, “हे प्रभु, मेरे पुत्र/ पुत्री__ (जिनका विवाह है, उनका नाम लें !) का विवाह __ (जिससे विवाह होने जा रहा है, उनका नाम लें !) से ___ (हिन्दू पंचांग अनुसार तिथि बोलें, जैसे मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष द्वितीया) तिथिको होने जा रहा है । इस विवाह रूपी यज्ञमें अनिष्ट शक्ति किसी भी प्रकारका विघ्न न डाले और यह यज्ञ निर्विघ्न सम्पन्न हो, इस हेतु मैं यह नामजप पन्द्रह मिनट कर रही हूं, आप ही यह जप विवाह होनेतक करवाकर ले लें और हमपर अपनी कृपा बनाए रखें !”
इस प्रकार घरके दो या तीन सदस्य, यह प्रार्थना और नामजप विवाह होनेके तीन दिवस पश्चाततक नियमित करें !
– (पू,) तनुजा ठाकुर


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