जप मालासे सुगन्ध आना


पूज्या तनुजा मांद्वारा बताए गए जपको जपमालासे करने और बैठकर किए जानेका आदेश मिलते ही, मैंने सर्वप्रथम जपमालासे करना नवम्बर २०१६ में प्रारम्भ किया ।

प्रारम्भमें जप करते हुए मुझे बहुत कठिनाई हुई और लगा कि मैं १८ माला नित्य नहीं कर पाऊंगा; परन्तु जैसे-जैसे मैं यह करता रहा मेरा मन स्वयं जप करनेको विवश हो जाता । कुछ दिवस पश्चात् यह जप बहुत ही सरलतासे, भावपूर्ण एवं एकाग्रतासे होने लगा और जपमें निरन्तरता बनी रही ।

लगभग २ मासके पश्चात्, अकस्मात् एक दिवस मुझे लगा कि जपमालासे कुछ सुगन्ध आ रही है, तत्पश्चात् मैंने अपनी पत्नीको भी बताया कि जप मालासे सुगन्ध आ रही है तो उसने भी इस तथ्यकी पुष्टि की ।

इसके पश्चात् हमने वह माला पूज्या मांको दिखाई तो उन्होंने बताया कि यह अनुभूति है सूक्ष्म दैवी गंधके कारण है । इस अलौकिक अनुभूतिद्वारा मुझे साधनाके पथपर अग्रसर होनेकी प्रेरणा देने हेतु पूज्या मांके चरणोंमें कोटि-कोटि कृतज्ञता । – श्री अनुज अग्रवाल, मेरठ, उत्तर प्रदेश (२०.२.२०१७)

(सनातन संस्थाके संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेकी वस्तुओंसे सर्वप्रथम दिव्य गन्ध आने आरम्भ हुए थे, उसके पश्चात् सनातनके अनेक साधकोंकी वस्तुओंसे भी दिव्य गन्ध आने लगे और अब उपासनाके साधकोंकी वस्तुओंसे भी दिव्य गन्ध आने आरम्भ हो गए हैं । इससे पूर्व अनेक साधकोंको झारखण्डके आश्रममें एवं देहलीके आश्रममें हमारेद्वारा उपयोग किए गए वस्त्र या वस्तुसे तथा कक्षसे दिव्य गन्धकी अनुभूति हो चुकी है । -तनुजा ठाकुर )



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