पीनेवाला जल हो या भोजन, उसका अपव्यय न करें, अन्यथा ईश्वरीय विधान अनुसार इसका फल सूखाग्रस्त क्षेत्रमें रहकर या दरिद्र होकर इस जन्म या अगले जन्ममें भोगना ही पडता है । ईश्वरको अपव्यय कदापि प्रिय नहीं; अतः हर प्रकारका अपव्यय टालें !
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