रात्रिमें अपने अन्नपूर्णा कक्षमें (रसोईघरमें) या घरमें कभी भी जूठे पात्र (बर्तन) न छोडें ! यदि आपको उन्हें धोनेमें आलस्य हो रहा हो तो उसे पानीसे धोकर जूठन निकाल दें एवं व्यवस्थित करके रख दें ! जूठे पात्रमें लगे हुए भोज्य पदार्थसे रात्रि कालमें विचरण करनेवाले निशाचर लिंगदेह अपनी वासनाकी तृप्ति करते हैं इससे उन पात्रोंपर तो सूक्ष्म काला आवरण बनता ही है साथ ही उनका उस स्थानपर बार-बार आना-जाना हो जाता है, जिससे वास्तु अशुद्ध हो जाती है । दूसरी बात है कि यदि आपकी वास्तु सात्त्विक है तो रात्रिमें माता लक्ष्मी भी गृहस्थोंके घर विचरण करती हैं, ऐसेमें जूठे पात्रके स्पन्दनसे वे घरमें प्रवेश नहीं करती हैं इसलिए भोजन करनेके उपरान्त रात्रिमें जूठे पात्र कभी भी खुलेमें न छोडें ! साथ ही अन्नपूर्णा कक्षको भी अस्वच्छ न रखें !
Leave a Reply