‘नाइट गार्ड’की चाकरीसे ‘आईआईएम’में ‘असिस्टेंट प्रोफेसर’ बननेवाले रंजीत रामचन्द्रने आरक्षणको किया मना


१४ अप्रैल, २०२१
       ‘आईआईएम’ रांचीमें गत दिवसों केरलके निवासी रंजीत रामचन्द्रनकी ‘असिस्टेंट प्रोफेसर’के रूपमें नियुक्ति हुई हैं । २८ वर्षीय रामचन्द्रन पूर्वमें ‘नाइट गार्ड’की चाकरी भी करते थे । उन्होंने जीवनमें अत्यधिक सङ्घर्ष किए हैं । गत शनिवारको उन्होंने केरलमें अपने घरका छायाचित्र सामाजिक जालस्थलपर साझा किया, जिसमें एक झोपडी दृष्टिगत हो रही थी व उन्होंने लिखा कि ‘आईआईएम’के ‘प्रोफेसर’का जन्म इस घरमें हुआ था । इसके पश्चात यह ‘पोस्ट’ सामाजिक जालस्थलपर अत्यधिक ‘वायरल’ हुई व लोग उनकी प्रशंसा करने लगे । ‘इंडियन एक्सप्रेस’से वार्तालापके मध्य रंजीतने कहा कि वह चाहते थे कि उनके जीवनका सङ्घर्ष युवाओंके लिए प्रेरणा बने । उन्होंने यह भी बताया कि बारहवींकी कक्षाके पश्चात उनके जीवनमें ऐसा समय आया था, जब पढाई छोडकर वह छोटी-मोटी चाकरीके द्वारा घर परिवारकी सहायता करने लगे । उन्होंने परिवारके पालन हेतु चाकरीकी । रंजीत रामचन्द्रनने सङ्घर्षकालमें भी कभी अपना धैर्य नहीं छोडा । उन्होंने यह भी बताया कि दिनमें वह महाविद्यालय जाते थे व रात्रिमें ‘टेलिफोन एक्सचेंज’में चाकरी करते थे । यह कार्य उन्होंने ५ वर्षोंतक किया । उल्लेखनीय है कि रंजीत रामचन्द्रके पिता रविंद्र एक वस्त्र सिलनेका कार्य करते हैं । वहीं उनकी माता ‘मनरेगा’ अन्तर्गत श्रमिक हैं । वह कासरगोड जनपदके रहनेवाले मराठी भाषामें पिछडी जनजाति समुदायसे हैं; परन्तु उन्होंने कदापि जीवनमें यहां पहुंचनेतक आरक्षणका प्रयोग नहीं किया ।
     आदर्श हैं, ऐसे राष्ट्रके युवा, जो अपने जीवनमें सफलताको प्राप्त करने हेतु सङ्घर्षसे भय नहीं करते और न ही आरक्षणकी सहायता लेते हैं । अपने जीवनमें सफलता श्रमसे प्राप्त करना सभीके लिए महत्त्वपूर्ण होना चाहिए । आनेवाले हिन्दूराष्ट्रमें सभी उच्च पदोंको लोग धर्मके ज्ञान व कार्य कुशलताके गुणोंसे ही प्राप्त करेंगे । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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