अष्टांग प्रणाम (वंदन)


उरसा शिरसा दृष्ट्या मनसा वचसा तथा ।

पद्भ्यां कराभ्यां जानुभ्यां प्रणामोऽष्टाङ्ग उच्यते ।।

अर्थ : हृदय, मस्तक, नेत्र, मन, वाणी , चरण, हस्त और घुटनेसे शरणागत होनेको अष्टांग प्रणाम ( वंदन ) कहते हैं।



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