उत्तर : बच्चे दो स्थितियोंमें ‘श्रीगुरुदेव दत्त’के जपमें ॐ लगा सकते हैं । एक यदि उन्हें अनिष्ट शक्तियोंका तीव्र कष्ट हो तो वे ‘श्रीगुरुदेव दत्त’के जपमें ॐ लगाकर जप कर सकते हैं । बच्चोंको तीव्र कष्टके कुछ उदाहरण हैं जैसे उनका अत्यधिक चंचल होकर पढाईमें मन न लगना, अत्यधिक हठ करना, सदैव छोटे-मोटे रोग लगे रहना या क्रोधमें हिंसक हो जाना या अपशब्द कहना आदि । यदि बच्चोंको ऐसे कष्ट हों तो उन्होंने जबतक ये कष्ट उन्हें रहते हैं तो उन्होंने उस समयतक श्री गुरुदेव दत्तके जपमें ॐ लगाना चाहिए ।
दूसरी स्थितिमें यदि कोई बालक या बालिका बहुत अधिक सात्त्विक हो, जप आरम्भ करनेके कुछ दिवस या कुछ माहमें उनका जप अविरत चलने लगे तो इसका अर्थ है कि वह उच्च आध्यात्मिक स्तरका है । वर्तमान कालमें ऐसे बच्चोंको सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंके आक्रमण होनेकी अधिक आशंका होती है; अतः उन्हें भी ‘श्रीगुरुदेव दत्त’ जप करते समय ॐ लगाना चाहिए ।
और यदि बच्चेको न ही तीव्र आध्यात्मिक कष्ट हो और न ही उसका अजपाजप चलता हो तो ऐसेमें ‘श्रीगुरुदेव दत्त’का जप करना ही उनके लिए अधिक योग्य होगा । अतः सभी बच्चोंके लिए यह नियम एक समान नहीं हो सकता है । पालक अपने बच्चोंके विषयमें इन सब मापदण्डोंआधारपर उन्हें जप बताएं, यह विनती है ।
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