दिसम्बर ७, २०१८
हिन्दू संगठनोंके विरोधको देखते हुए उत्तराखण्डके सात जनपदोंमें ‘केदारनाथ’ चलचित्रके प्रदर्शनपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है । इन संगठनोंका आरोप है कि चलचित्रसे धार्मिक भावनाओंको ठेस पहुंच रही है । सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खानकी जोडी वाली इस चलचित्रकी कहानी २०१३ में आई केदारनाथ त्रासदीकी पृष्ठभूमिपर आधारित है ।
प्रदेशके अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) अशोक कुमारने यहां समाचार माध्यमोंको बताया कि इस चलचित्रको उत्तराखण्डके उन सात जनपदोंमें प्रतिबन्धित कर दिया गया है, जहां हिन्दू संगठन इस चलचित्रके विज्ञापन पट (पोस्टर) फाडकर और चलचित्र निर्माता और केन्द्रीय चलचित्र निरीक्षण मण्डलके पुतले जला कर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं । कुमारने बताया कि देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उधमसिंह नगर, पौडी, टिहरी और अल्मोडा जनपदोंमें चलचित्रके प्रदर्शनपर प्रतिबन्ध लगाया गया है ।
उन्होंने बताया कि सम्बन्धित जिलाधिकारियोंद्वारा अपने क्षेत्रोंमें स्थितिको देखते हुए निर्णय किया गया है । पुलिस अधिकारीने कहा कि चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ, बागेश्वर, चंपावत और रूद्रप्रयागमें मल्टीप्लैक्स न होनेके कारण उन्हें प्रतिबन्धसे बाहर रखा गया है ।
‘केदारनाथ’ फिल्म पर उठ रही आपत्तियों की समीक्षा के लिये उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता वाली समिति ने भी कल फिल्म के प्रदर्शन पर रोक न लगाते हुए इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार जिलाधिकारियों पर छोड दिया था ।
इससे पहले कल दिनमें उत्तराखण्ड उच्च न्यायालयने भी चलचित्रके प्रदर्शनपर रोक लगाने वाली याचिका अस्वीकृत कर दी थी । वहीं हिन्दू संगठनोंका आरोप है कि केदारनाथ त्रासदीकी पृष्ठभूमिमें एक हिन्दू श्रद्धालु और एक मुस्लिम पिट्ठूके (पोर्टर) द्वारा दिखायी जा रही प्रेमकथा लव जिहादको बढावा दे रही है ।
“‘लव-रात्रि’, ‘केदारनाथ जैसी असंवेदनशील, धर्मद्रोही चलचित्रोंकी हिन्दुवादी सरकारोंद्वारा स्वीकृति अब सभी हिन्दुवादियोंके मनमें प्रश्न निर्माण करने लगी है और ऐसा प्रतीत होता है कि निरीक्षण मण्डल भी मृतवत हो चुका है । कलको यदि रामायण और महाभारतपर ऐसी उच्छृंखल चलचित्र बनाया जाता है तो क्या उसे भी केवल अयोध्याको छोडकर स्वीकृति दे दी जाएगी ! अतः हिन्दुओंने अब स्वयं ही जागृत होकर ऐसे चलचित्रोंका विरोध करना चाहिए ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जी न्यूज
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