भगवान श्रीकृष्णके विषयमें कुछ तथ्य !


आइए ! सर्वप्रथम जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्णको विभिन्न स्थानोंपर किन नामोंसे जाना जाता है :

★ उत्तर प्रदेशमें हम उन्हें कृष्ण, गोपाल, गोविंद इत्यादि नामोंसे
★ राजस्थानमें श्रीनाथजी अथवा ठाकुरजीके नामसे
★ महाराष्ट्रमें विट्ठल
★ उडीसामें जगन्नाथ
★ बंगालमें गोपालजी
★ दक्षिण भारतमें वेंकटेश अथवा गोविंदा
★ गुजरातमें द्वारिकाधीश
★ असम, त्रिपुरा, नेपाल इत्यादि पूर्वोत्तर क्षेत्रोंमें कृष्ण तथा मलेशिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस इत्यादि देशोमें भी उनका कृष्ण नाम ही विख्यात है ।

आइए ! अब भगवान श्रीकृष्णसे सम्बन्धित कुछ अन्य तथ्य जानते हैं :-
★ गोविंद अथवा गोपालमें ‘गो’ शब्दका अर्थ गाय एवं इन्द्रिय, दोनोंसे है । ‘गो’ एक संस्कृत शब्द है तथा ऋग्वेदमें इसका अर्थ है, मनुष्यकी इन्द्रियां । जो इन्द्रियोंका विजेता हो, जिसके वशमें इन्द्रियां हों, वही गोविंद है, वही गोपाल है ।
★ श्रीकृष्णके पिताका नाम वसुदेव था; इसलिए इन्हें आजीवन ‘वासुदेव’के नामसे जाना गया । श्रीकृष्णके दादाका नाम शूरसेन था ।
★ श्रीकृष्णका जन्म उत्तर प्रदेशके मथुरा जनपदमें, अपने मामा, राजा कंसके कारावासमें हुआ था ।
★ श्रीकृष्णके भाई बलराम थे; किन्तु उद्धव एवं अंगिरस उनके चचेरे भाई थे । अंगिरसने आगे तपस्या की थी तथा जैन धर्मके तीर्थंकर ‘नेमिनाथ’के नामसे विख्यात हुए थे ।
★ श्रीकृष्णने १६,००० राजकुमारियोंको असमके राजा, नरकासुरके कारागारसे मुक्त करवाया था तथा उन राजकुमारियोंको आत्महत्यासे रोकने हेतु विवशतामें, उनके सम्मान हेतु उनसे विवाह किया था; क्योंकि उस युगमें हरण की हुई स्त्रियां स्वीकारी नहीं जाती थीं ।
★ श्रीकृष्णकी मूल पटरानी एक ही थीं, जिनका नाम रुक्मिणी था, जो महाराष्ट्रके विदर्भ राज्यके राजा रुक्मीकी बहन थीं । रुक्मी, शिशुपालका मित्र था एवं श्रीकृष्णका शत्रु ।
★ दुर्योधन, श्रीकृष्णका समधि था; क्योंकि उसकी बेटी लक्ष्मणाका विवाह श्रीकृष्णके पुत्र सांबके संग हुआ था ।
★ श्रीकृष्णके धनुषका नाम सारंग, शङ्खका पाञ्चजन्य तथा चक्रका नाम सुदर्शन था ।
★ उनकी प्रेयसीका नाम राधारानी था, जो बरसानाके मुखिया वृषभानुकी बेटी थीं । श्रीकृष्ण राधारानीसे निष्काम एवं निःस्वार्थ प्रेम करते थे । राधारानी, श्रीकृष्णसे आयुमें बहुत बडी थीं, अनुमानतः ६ वर्षसे भी अधिकका अन्तर था । श्रीकृष्णने ७ वर्षकी आयुमें वृंदावन छोड दिया, उसके पश्चात वो राधारानीसे कभी नहीं मिले ।
★ श्रीकृष्ण, विद्या अर्जित करने हेतु मथुरासे उज्जैन आए जहां उन्होंने उच्च कोटिके ब्राह्मण, महर्षि सांदीपनिसे अलौकिक विद्याओंका ज्ञान अर्जित किया था ।
★ श्रीकृष्ण कुल १२५ वर्ष धरतीपर रहे । उनके शरीरका रंङ्ग सांवला था तथा उनके शरीरसे २४ घण्टे पवित्र अष्टगन्धकी सुगन्ध आती थी । उनके वस्त्र रेशमी पीले रंङ्गके होते थे तथा मस्तकपर मोरमुकुट सुशोभित था ।
★ उनके सारथीका नाम दारुक था तथा उनके रथमें चार घोडे जुते होते थे ।
★ उनकी दोनों आंखोंमें प्रचण्ड सम्मोहन था ।
★ श्रीकृष्णके कुलगुरु महर्षि शांडिल्य थे ।
★ श्रीकृष्णका नामकरण महर्षि गर्गने किया था ।
★ श्रीकृष्णने गुजरातके समुद्रके मध्य द्वारिका नामकी नगरी बसाई थी ।
★ द्वारिकापुरी सोनेकी थी तथा उसका निर्माण देवशिल्पी विश्वकर्माने किया था ।
★ श्रीकृष्णके पांवके अंगूठेमें, जरा नामके आखेटकका बाण लगा था, जो आखेटक पूर्व जन्ममें बाली था । बाण लगनेके पश्चात भगवान स्वलोक धामको गमन कर गए ।
★ श्रीकृष्णने हरियाणाके कुरुक्षेत्रमें अर्जुनको पवित्र गीताका ज्ञान रविवार, शुक्ल पक्ष एकादशीके दिन मात्र कुछ क्षणोंमें अर्थात पश्यन्ति वाणीमें दे दिया था ।
★ श्रीकृष्णने मात्र एक बार बाल्यावस्थामें नदीमें नग्न स्नान कर रही स्त्रियोंके वस्त्र चुराए थे तथा उन्हें अगली बार खुलेमें नग्न स्नान न करनेकी सीख दी थी; क्योंकि इससे जल देवताका अपमान होता है ।
★ श्रीकृष्णके अनुसार, गोहत्या करनेवाला असुर है तथा उसे जीनेका कोई अधिकार नहीं ।
★ श्रीकृष्ण अवतार नहीं थे; अपितु अवतारी थे, जिसका अर्थ होता है, ‘पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान’, न उनका जन्म साधारण मनुष्यकी भांति हुआ, न ही उनकी मृत्यु ही साधारण थी ।



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