भारत आज भी एक आध्यात्मिक देश है !


हमारे श्रीगुरुने एक बार कहा था कि भारत आज भी एक आध्यात्मिक देश है । यहां प्रत्येक जनपदके उपखण्डमें आज भी योगी, सिद्ध और सन्त रहते हैं ।
धर्मप्रसारके मध्य मैं, गुरुकृपासे ऐसे अनेक अध्यात्मविदोंसे मिली हूं । ऐसे ही एक सिद्ध पुरुषसे हमारी भेंट इस बार जानापावके महन्त परम पूज्य बद्रीनन्द बाबाके देहत्यागके उपरान्त हुई ।  प्रथम बार उन्हें देखकर ही उनसे बहुत सकारात्मक स्पन्दन आए ।  जब वे परम पूज्य बाबाकी तेरहवींमें आएं तो उनसे हमारा परिचय वहींके एक साधकने कराया एवं उनसे मिलकर लगा जैसे उन्हें वर्षोंसे जानती हूं । उन्हें हमने आश्रममें आमन्त्रित किया और वे आए भी, उसके पश्चात उनके स्थानपर हम भी गए ।  वे बहुत ही सरल हृदयी हैं एवं हनुमान उपासक हैं । वे अपनी साधनाके बलपर, लोगोंकी अनिष्ट शाक्तियोंके कष्टका निवारण करते हैं । उन्हें ज्योतिष शास्त्रका भी अच्छा ज्ञान है । उनका नाम मनोहरदासजी महाराज है । वे विष्णु सहस्रनामके शतक पाठमें भी हमारे आमन्त्रणपर पधारकर हमें अनुग्रहित कर चुके हैं । उन्होंने उपासनाके कार्यको आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनके देहमें रहते ही उपासनाका कार्य बृहद हो जाएगा । आगे उन्होंने कहा, मैं अब वृद्ध हो चुका हूं; अतः मेरे पास अब अधिक समय नहीं; इसलिए दो वर्षमें ही उपासनाके कार्यको बहुत यश मिलेगा और परमार्थ हेतु आपकी योजनाओंको मूर्त स्वरूप प्राप्त होगा । ऐसे सन्तों और सिद्धोंकी शक्ति ही हमारी शक्ति और प्रेरणा है; इसलिए उन्हें हम कृतज्ञतापूर्वक नमन करते हैं ।


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