भावजागृति हेतु किए जानेवाले प्रयास (भाग – ४)


योग्य साधनाके अभावमें एवं सामन्य व्यक्तिमें षड्रिपुओंका प्रमाण अधिक होनेके कारण एक बारमें उनकी प्रार्थना ईश्वरतक नहीं पहुंचती है; अतः प्रारम्भिक अवस्थामें यदि साधकोंकी प्रार्थना ईश्वरके चरणोंतक नहीं पहुंचती है तो उन्हें निराश नहीं होना चाहिए । ऐसी स्थितिमें एक ही प्रार्थनाको अनेक बार करनेमें कोई हानि नहीं होती है अर्थात दिन भर किसी भी परिस्थतिमें प्रार्थना की जा सकती है । उस हेतु दिनभरमें पांचसे छ: बार हाथ जोडकर शरणागत होकर प्रार्थना कर सकते हैं, शेष समय मानसिक प्रार्थना करते रहना चाहिए । इससे धीरे-धीरे शरीर चाहे सांसारिक कार्यमें लिप्त हो, मन ईश्वर चरणोंमें रहने लगता है । भाव जागृति हेतु प्रारम्भिक अवस्थाके साधकोंने एक बार नहीं, अपितु अनेक बार प्रार्थना करनेका प्रयास करना चाहिए ।
प्रार्थनाका स्मरण सम्पूर्ण दिवस हो इस हेतु कुछ उपाययोजना की जा सकती है यथा –
कुछ प्रार्थनाएं दिनचर्याके मध्य करनेकी वृत्ति निर्माण करें, जैसे प्रातः उठनेके पश्चात और सोनेसे पूर्व, स्नान करनेसे पूर्व या स्नान करते समय, घरसे बाहर जाते समय, प्रातः या संध्या समय आरती करते समय, अपने कार्यालयमें कार्य आरम्भ करनेसे पूर्व एवं वहांसे पुनः अपनी सेवा करनेके पश्चात ! वाहनमें प्रवास करते समय, भोजनसे पूर्व एवं भोजन करते समय !  साथ ही अपनी घडी, भ्रमणभाष एवं संगणकपर आप संकेतध्वनि (अलार्म) लगा सकते हैं ! अपने गुरु या आराध्यका छायाचित्र अपने कक्ष, कार्यालय, व अपने भ्रमणभाषपर लगा सकते हैं !
भावगीत सुन सकते हैं या ऐसे गीत जिससे आपकी भाव जागृति होती है ! अपने गुरुके स्वरमें भजन या प्रवचन सुन सकते हैं ! जितनी अधिक समय भाव अवस्थामें रहेंगे, ईश्वरके निकट होनेकी अनुभूति होगी ! इस स्थितिको साध्य करने हेतु प्रार्थना एक सरल माध्यम है !



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