बुद्धिका होना आध्यात्मिक प्रगतिके लिए तभी पोषक होता है जब उसका अध्यात्मविद या गुरुकी आज्ञाका पालन करने हेतु उपयोग किया जाए | अधिकांश बुद्धिवादियोंमें यह गुण नहीं होता; इसलिए बुद्धि उनकी आध्यात्मिक प्रगतिमें बाधा बन जाती है ! यह न हो; इसलिए अध्यात्ममें हमसे जो आगे हैं उनकी आज्ञा पालन करनेका प्रयास करना चाहिए !
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