धार्मिक कृतियां

स्त्रीयोंको MADAM कहकर संबोधित


आजकल छोटे-छोटे शहरों में भी पृरुष (विशेषकर दुकानदार) स्त्रीयो को MADAM कह कर संबोधित करते हैं क्यों दीदी , चाची , मासी, बोलने की अपेक्षा MADAM बोलने परस्त्री को पूजिता की अपेक्षा भोग्या सरलता से समझा जा सकता है !!

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चालीस प्रतिशतके नीचेके आध्यात्मिक स्तरके साधकने सन्यास नहीं लेना चाहिए


चालीस प्रतिशतके नीचेके आध्यात्मिक स्तरके साधकने सन्यास नहीं लेना चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्तिके लिए विषय वासनाको नियंत्रित करना अत्यंत कठिन होता है और यदि ऐसे व्यक्ति योग्य गुरुके शरणमें सन्यास नहीं लेते तो वे अति सहजतासे माया-मोहके चक्रव्यूहमें उलझ जाते हैं और आज समाजमें ऐसे ही गेरुआधारियोंने धर्मके नामपर अनेक व्यभिचार फैला रखा है | […]

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“देवालय”,


  • मंदिर शब्दका संस्कृत भाषामें अर्थ है “देवालय”, वह जो देवताओंका आलय (घर) है | हमारे सभी मंदिर वस्तुतः धर्मशिक्षणके केंद्र थे, किन्तु आज जहां मुसलमान मस्जिदमें कुरान पढाते हैं, ईसाई गिरिजाघरमें “बाईबल” पढ़ाते हैं, वहीं मात्र मंदिर ही केवल कर्मकांडी-प्रथाओंके केंद्र बनकर रह गए हैं, जैसे धूप-दीप जलाना, गंध-पुष्प एवं नैवेद्य अर्पित करना […]

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खरा ज्ञान शब्दातीत है !


खरा ज्ञान  शब्दातीत  है ! ज्ञानकी पिपासा किसे नहीं होती ? १. अहंकारियोंको, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें अत्यधिक  ज्ञान  है २. पूर्णत्वकी ओर बढ़ रहे आत्मज्ञानी संतको, जिन्हें शब्दजन्य ज्ञान पानेकी रुचि समाप्त हो जाती है, क्योंकि उन्हें शब्दातीत  परम शांतिकी अवस्थामें रहनेमें आनंद आता है !- तनुजा ठाकुर

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संस्कृत है अँग्रेजीकी जननी


संस्कृत है अँग्रेजी की जननी ‘सप्तांबर, अष्टांबर, नवाम्बर, दशाम्बर’ आपके मनमें, कभी प्रश्नउठा होगा कि अंग्रेज़ी महीनों के नाम जैसे कि, सप्टेम्बर, ऑक्टोबर, नोह्वेम्बर, डिसेम्बर कहीं, संस्कृत सप्ताम्बर, अष्टाम्बर, नवाम्बर, दशाम्बर जैसे शुद्ध संस्कृत रूपोंसे मिलते क्यों प्रतीत होते हैं? विश्व की और विशेषतः युरप की भाषाओं में संस्कृत शब्दों के स्रोत माने जाते हैं। […]

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भारत माताके सच्चे क्रांतिकारी


न्यूटन नहीं … महर्षि भास्कराचार्य ने की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की खोज..::::::::: जिस समय न्यूटन के पूर्वज जंगली लोग थे, उस समय महर्षि भास्कराचार्य ने प्रथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर एक पूरा ग्रन्थ रच डाला था. किन्तु आज हमें कितना बड़ा झूठ पढ़ना पड़ता है कि गुरुत्वाकर्षण शक्ति की खोज न्यूटन ने की, ये हमारे लिए […]

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भारतीय संस्कृति अनुसार जन्मदिन कैसे मनाएं ?


 भारतीय संस्कृति अनुसार  जन्मदिन मनानेकी पद्धति अ. जन्मदिनपर अभ्यंगस्नान कर नए वस्त्र पहनें । आ. माता-पिता तथा बडोंको नमस्कार करें । इ. कुलदेवताकी मनःपूर्वक पूजा करें एवं संभव हो तो उसका अभिषेक करें । ई. कुलदेवताका कमसे कम तीन माला नामजप करें । उ. जिसका जन्मदिन है, उसकी आरती उतारें । (उसकी घीके दीपसे आरती […]

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मोमबत्ती जलाकर जन्मदिन मनाना पश्चिमी संस्कृतिका अंधानुकरण हैं


मोमबत्ती जलाकर जन्मदिन न मनाना: पश्चिमी संस्कृतिका अंधानुकरण कर अनेक लोग मोमबत्तियां जलाकर एवं केक काटकर जन्मदिन मनाते हैं । मोमबत्ती तमोगुणी होती है; उसे जलानेसे कष्टदायक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं । उसी प्रकार हिंदू धर्ममें `ज्योत बुझाने’ की कृति अशुभ एवं त्यागने योग्य मानी गई है । इसीलिए जन्मदिनपर मोमबत्ती जलानेके उपरांत उसे जानबूझकर […]

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वैदिक सनातन धर्ममें ऐसा क्यों ?


१.शुभ दिनमें नए वस्त्र पहनने का कारण : कुछ विशेष दिन जैसे त्योहारके दिन देवताके तत्त्व पृथ्वीपर प्रक्षेपित होते हैं और वे अधिक क्रियाशील भी रहते हैं | ऐसे दिवसपर नए वस्त्र पहननेसे , वस्त्र देवताके तरंगोंको ग्रहण कर लेते हैं और सात्त्विक हो जाते हैं | फलस्वरूप व्यक्तिका सूक्ष्म देह इन तरंगोंके कारण शुद्ध […]

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वैदिक सनातन धर्ममें ऐसा क्यों ?


शुभ दिनमें नए वस्त्र पहनने का कारण : कुछ विशेष दिन जैसे त्योहारके दिन देवताके तत्त्व पृथ्वीपर प्रक्षेपित होते हैं और वे अधिक क्रियाशील भी रहते हैं | ऐसे दिवसपर नए वस्त्र पहननेसे , वस्त्र देवताके तरंगोंको ग्रहण कर लेते हैं और सात्त्विक हो जाते हैं | फलस्वरूप व्यक्तिका सूक्ष्म देह इन तरंगोंके कारण शुद्ध […]

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