अध्यात्म

देवपूजनमें बासी सामग्रीका प्रयोग न करें


देवता पूजन सूक्ष्म किन्तु वैज्ञानिक अध्यात्म शास्त्रपर आधारित है, इस सन्दर्भमें शास्त्र कहता है – त्यजेत् पर्युषितं पुष्पं त्यजेत् पर्युषितं जलम् । न त्यजेज्जाह्नवीतोयं तुलसीदलपंकजम् ॥ अर्थ : बासी (पर्युषित) पुष्प तथा बासी जलका प्रयोग देवपूजनमें नहीं करना चाहिए; किन्तु गंगाजल या तुलसीदल या तुलसी-पुष्पमें बासीपनका दोष नहीं होता; अतः ये सदा ग्राह्य हैं । […]

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दाह-संस्कार हेतु मृत शरीरको ले जाते समय ‘राम नाम सत्य है’ क्यों कहते हैं ?


मृत्युके उपरान्त पञ्च प्राण देहको छोड ब्रह्माण्डमें विलीन हो जाते हैं, जिनकी साधना और पुण्याई अच्छी होती है, उन्हें त्वरित गति मिलती है और वे मृत्यु उपरान्तकी यात्रा तय करने हेतु अपने आगेका प्रवास आरम्भ कर देते हैं; परन्तु कलियुगमें…..

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विवाह संस्कार रात्रिमें न करें !


विवाह, मध्यरात्रिकी अपेक्षा दिनमें या ब्रह्म मुहूर्तमें करना चाहिए । रात्रिका काल तमोगुणी होनेके कारण उस समय किया गया शुभ कार्य फलित नहीं होता; इसलिए विवाहका मुहूर्त दिनमें निकालकर विवाह करना अधिक उचित होता है । भारतके कुछ स्थानोंमें ब्रह्म मुहूर्तमें सिन्दूर-दानका कृत्य किया जाता है, तब भी शेष कार्यक्रम रात्रिमें होता है, जो अध्यात्मकी […]

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धनके त्यागके विषयमें योग्य दृष्टिकोण


‘लक्ष्मीकी कृपा हमारे घर एवं कुलपर सदैव रहे’, ऐसी हमारी इच्छा है, तो अपनी आयका दशांश ईश्वरीय कार्यमें प्रतिमाह अवश्य अर्पण करना चाहिए । इससे पितर और अनिष्ट शक्तिद्वारा होनेवाली धनहानिसे हम सरलतासे बच सकते हैं……

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यज्ञोपवीत क्यों धारण करना चाहिए ? (भाग – ४)


मनुष्य जीवनमें यज्ञोपवीत संस्कार एवं जनेऊ धारण करनेका अत्यधिक महत्त्व है; इसलिए वैदिक संस्कृतिमें यह त्रिवर्णीयोंके लिए एक अति आवश्यक सोलह संस्कार अंतर्गत संस्कार कर्म माना जाता था…..

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यज्ञोपवीत क्यों धारण करना चाहिए ? (भाग – ३)


यज्ञोपवीतको ‘व्रतबन्ध’ भी कहते हैं । व्रतोंसे बन्धे बिना मनुष्यका उत्थान सम्भव नहीं । यज्ञोपवीतको व्रतशीलताका प्रतीक मानते हैं । इसीलिए इसे सूत्र (फार्मूले, गूढ तत्त्व) भी कहते हैं……

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यज्ञोपवीत क्यों धारण करना चाहिए ? (भाग – २)


यज्ञोपवीत सांस्कृतिक मूल्योंके आधार पर अपने जीवनमें आमूलचूल परिवर्तनके संकल्पका प्रतीक है । इसके साथ ही गायत्री मन्त्रकी आचार्य दीक्षा भी दी जाती है । दीक्षा यज्ञोपवीत मिलकर द्विजत्वका संस्कार पूरा करते हैं…..

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यज्ञोपवीत क्यों धारण करना चाहिए ? (भाग – १)


पूर्व कालमें तीनों वर्णके पुरुष यज्ञोपवित धारण करते थे; किन्तु आजकाल अनेक ब्राह्मण युवा जिनके यज्ञोपवीत संस्कार हो जाते हैं, वे भी इसे धारण नहीं करते हैं; इसलिए यह लेख श्रृंखला आरम्भ कर रही हूं जिससे पुरुषोंको इसका…….

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श्राद्धकर्म करवाने वाले ब्राह्मण प्रखर साधना करें


जो भी ब्राह्मण, श्राद्धविधि अन्तर्गत ब्राह्मणभोजन हेतु अपने यजमानोंके घर जाते हैं, उन्होंने यह ध्यान रखना चाहिए कि श्राद्धविधिके मध्य ब्राह्मण भोजनके समय यदि आप शास्त्रानुसार पितृस्थानपर बैठकर…….

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सतर्क होकर करें ब्राह्मण वर्णकी साधना


समाजको धर्मशिक्षण देनेसे पूर्व साधकोंने उन तथ्योंको स्वयं अभ्यास कर उसका मनन-चिन्तन कर उसे आत्मसात करना चाहिए, कथनी और करनीमें भेद होनेसे वाणीमें चैतन्य नाममात्र होता है, ऐसेमें समाज उस तथ्यको शीघ्र आत्मसात नहीं करता…..

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