अपनी छविको साम्प्रदायिक होनेसे बचानेवाले आजके तथाकथित धर्मगुरु अगस्त २०११ में कश्मीरमें धर्मयात्राके मध्य एक विश्व प्रसिद्ध हिन्दू धर्म गुरुसे मिलनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ | मेरे एक हिंदुत्ववादी कश्मीरी पंडित जो मेरे परिचित थे और वहांके हिन्दुत्ववादी नेता थे, उन्हें धर्मगुरुने मिलने हेतु बुलाया था, उनके आग्रहपर मैं भी उनके साथ गयी | हमें उनकी […]
खरे आनंदका स्रोत योगमें (ईश्वरप्राप्ति हेतु किये जानेवाले सत्प्रयासोंमें) है, भोगमें नहीं !! -तनुजा ठाकुर
दिन भर सांसारिक कार्योंको करते समय नामजप करनेके प्रयास करना, माथेपर तिलक धारण करना, भारतीय परिधान धारण करना, स्वभाषाका प्रयोग करना, घरका बना भोजन ग्रहण (विशेषकर शाकाहारी भोजन) करना, समय एवं अनुशासनका दिन भर पालन करना, साधना करना, दूसरोंके कल्याणके विषयमें सोचकर योग्य कृति करना, सत्त्व गुण प्रधान व्यक्तिके लक्षण हैं । इसके विपरीत सतत […]
द्वैत भावयुक्त भक्तिमें वियोग हो सकता है, अद्वैतमें आनन्द ही आनन्द होता है । -तनुजा ठाकुर