धार्मिक कृतियां

अपने बच्चेको प्रथम पांच वर्ष अँग्रेजी भाषा तनिक भी न सिखाएं


अँग्रेजी एक तमोगुणी भाषा है अतः अपने बच्चेको प्रथम पांच वर्ष अँग्रेजी भाषा तनिक भी न सिखाएं ! उनमें हिंदुओंकी मूल भाषा संस्कृत, राष्ट्रभाषा हिन्दी और अपनी मातृभाषाके प्रति प्रेम और निष्ठा जागृत करें अपने पालकत्त्व का धर्म निभाए अन्यथा आनेवाली पीढी हमें कभी क्षमा नहीं करेंगी |-तनुजा ठाकुर

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शिवत्वहीन विज्ञानके वैज्ञानिक अविष्कारोंका कुप्रभाव


देखिये शिवत्वहीन विज्ञानके वैज्ञानिक अविष्कारोंका कुप्रभाव आजके वैज्ञानिक स्वयं अपने वैज्ञानिक शोधसे कैसे बता रहे हैं | यही सच है, आधुनिक विज्ञानके सारे उपकरण स्थूल स्तरपर तो ध्वनि प्रदुषण करते ही हैं सूक्ष्म स्तरपर भी प्रचंड मात्रामें अनिष्टकारी काली शक्तिका भी प्रक्षेपण करते हैं जिससे हमारे शरीर मन एवं बुद्धिपर विपरीत प्रभाव पडता है जिसका […]

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जाति व्यवस्था की उत्तपत्ति कैसे हुई ?


किसी व्यक्ति का वर्ण क्या है यह कोई आत्मज्ञानी संत ही बता सकते हैं, जैसे जैसे युगो का प्रवाह होता गया, धर्म का एक एक अंग नष्ट होता गया, अतः आज के genetical साइन्स के समान ब्राह्मण वर्ण के संतान में बुद्धि का प्राबल्य अधिक होगा ब्राह्मण वर्ण के संतान को ब्राह्मण कहा जाने लगा […]

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मैकालेकी शिक्षण पद्धतिके कारण हिंदुओंकी मानसिकताका सत्यानाश !


मैकालेकी शिक्षण पद्धति और सरकारकी तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादने किस प्रकारके हिन्दुओंकी मानसिकताको जन्म दिया है, आईये एक झलक देखें ! १. अधिकांश पढे-लिखे हिन्दुओंको ‘हिन्दु’ कहनेमें लाज आती है वे अपने आपको ‘सेकुलर’ कहनेमें अधिक सहज और गर्व अनुभव करते हैं | २. खरे अर्थोंमें बुद्धिजीवी वह होता है जो मानवताके उद्धार हेतु कृतिशील हो; परंतु […]

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वन्दे मातरमका मूल स्वरूप !


वंदे मातरम् भारतका राष्ट्रीय गीत है जिसकी रचना श्री बंकिमचंद्र चटर्जीद्वारा की गई थी। इन्होंने ७  नवम्बर, १८७६  ई. में बंगालके कांतल पाडा नामक ग्राममें इस गीतकी रचना की थी। वंदे मातरम् गीतके प्रथम दो पद संस्कृतमें तथा शेष पद बंगाली भाषामें थे।  गीतके पहले दो छंदोंमें मातृभूमिकी सुंदरताका गीतात्मक वर्णन किया गया है, परंतु […]

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माता-पिताकी सेवा अवश्य करें


माता-पिताकी सेवा अवश्य करें * माता-पिताकी सेवा अवश्य करें | जिन्हें माता-पिताका आशीर्वाद प्राप्त होता है उनके लिए इस सृष्टिमें कुछ भी असाध्य नहीं रहता | जैसे हम छोटे थे और उन्होंने हमारे सारे नखडे प्रेम से उठाए वैसे ही उनकी ओर श्रद्धा भाव रख उनकी सेवा करें जन्म दाता माता-पिताके ऋणसे हम सात जन्म […]

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विद्यार्थियोंकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ?


सामान्यत: विद्यार्थियोंकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ? दिनचर्या शब्दके ‘दिन’ अर्थात् दिन और ‘चर्या’ अर्थात् कृत्य/आचरण । हिंदु संस्कृति महान है । इस संस्कृतिमें बताया गया है कि प्रत्येकको प्रात: उठनेसे आरंभ कर, रात्रि सोनेतक कैसे आचरण करना चाहिए । इसीको दिनचर्या कहते हैं । बचपनसे ही उचित दिनचर्याका पालन करनेसे व्यक्ति सुसंस्कृत बनता है […]

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गंगाजीका महात्म्य :


सत्ययुगमें सभी स्थान पवित्र थे । त्रेतायुगमें पुष्कर, जबकि द्वापरयुगमें कुरुक्षेत्र सभी तीर्थोंमें पवित्र तीर्थ था तथा कलियुगमें गंगाजी परमपवित्र तीर्थ हैं । इतिहासकी दृष्टिसे प्राचीन कालसे अर्वाचीनकालतक तथा गंगोत्रीसे गंगासागरतक, गंगाकी कथा हिंदु सभ्यता एवं संस्कृतिकी अमृतगाथा है । गंगासागर (कपिल तीर्थ), बंगालमें स्थित यह तीर्थस्थल हिंदुओंकी आस्थाके चार धामोंमेंसे एक धामके रूपमें गिना […]

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भगवान शिवने रुद्राक्ष क्यों धारण किया है ?


भगवान शिव निरंतर समाधिमें होते हैं, इस कारण उनका कार्य सदैव सूक्ष्मसे ही जारी रहता है । यह कार्य अधिक सुव्यवस्थित हो, इसके लिए भगवान शिवने भी रुद्राक्षकी माला शरीरपर धारण की है । इसी कारण शिव-उपासनामें रुद्राक्षका असाधारण महत्त्व है ।’ किसी भी देवताका जप करने हेतु रुद्राक्षमालाका प्रयोग किया जा सकता है । […]

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गौ वंदना :


या लक्ष्मी: सर्व भूतानां सर्व देवष्ववस्थिता | धेनरूपेण सा देवी मम पापं व्यपोह्तु || नमो गोभ्य: श्रीमतीभ्य: सौरभेयीभ्य एव च | नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नम: || अर्थ : यह लक्ष्मी जो सर्व प्रकारके भूतोंमें, जो सभी देवताओंमें विद्यमान हैं, वह गो स्वरूपिणी देवी हमारे पापोको दूर करें, जो सभी प्रकारसे पवित्र है, उन लक्ष्मी […]

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