अक्तूबर २२, २०१८
केन्द्रीय जांच ब्यूरोने (सीबीआईने) अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थानाके विरुद्घ रिश्वतके आरोपोंके सम्बन्धमें विभागके डिप्टी एसपी देवेन्द्र कुमारको बन्दी बनाया है । समाचार विभाड ‘पीटीआई-भाषा’के अनुसार इससे पूर्व रविवारको एक अप्रत्याशित पगके अन्तर्गत केंद्रीय जांच ब्यूरोने (सीबीआई) अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थानाके विरुद्घ इस आरोपको लेकर प्रकरण प्रविष्ट किया है कि मांस व्यापारी मोईन कुरैशीसे सम्बन्धित एक प्रकरणमें जिस एक आरोपीके विरुद्ध वह जांच कर रहे थे और इस प्रकरणमें उन्होंने रिश्वत ली ! दो माह पूर्व अस्थानाने मन्त्रिमण्डल सचिवसे सीबीआई निदेशक आलोक वर्माके विरुद्घ यही परिवाद की थी ।
अस्थानाके अतिरिक्त विभागने डिप्टी एसपी देवेन्द्र कुमार और मनोज प्रसाद, कथित मध्यस्थ सोमेश प्रसाद और अन्य अज्ञात अधिकारियोंपर भी प्रकरण प्रविष्ट किया है । उनपर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियमकी ‘धारा ७, १३(२) और १३(१) (डी)’के अन्तर्गत प्रकरण प्रविष्ट किया गया है । इसके अतिरिक्त उनपर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियमकी ‘धारा ७-ए’ भी लगाई गई है । सीबीआईने सूचित किया कि इन धाराओंमें किसी अधिकारीके विरुद्घ जांच आरम्भ करनेसे पूर्व शासनसे अनुमति लेनेकी आवश्यकता नहीं होती ।
सीबीआईने सतीश सानाकी परिवादके आधारपर विशेष निदेशक अस्थानाके विरुद्घ प्राथमिकी प्रविष्ट की । मांस व्यापारी मोईन कुरेशीकी कथित संलिप्ततासे जुडे २०१७ के एक प्रकरणमें जांचका सामना कर रहे सानाने आरोप लगाया कि अस्थानाने उसे निर्दोष सिद्ध करनेमें कथित रुपसे सहायता की ! सीबीआईने मध्यस्थ समझे जाने वाले मनोज प्रसादको भी १६ अक्टूबरको दुबईसे लौटनेपर बन्दी बनाया था । यद्यपि जांच विभाग इस प्रकरणपर मौन साधे हुए है !
गुजरात कैडरके आईपीएस अधिकारी अस्थाना उस विशेष जांच दलकी (एसआईटी) अध्यक्षता कर रहे हैं जो अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले और उद्योगपति विजय माल्याद्वारा की गई ऋण धोखाधडी जैसे महत्त्वपूर्ण प्रकरणको देख रहा है । यह दल मोईन कुरैशी प्रकरणकी भी जांच कर रहा है ।
सरकारी सूत्रोंके अनुसार अस्थानाने २४ अगस्तको कैबिनेट सचिवको एक विस्तृत पत्र लिखकर वर्माके विरुद्घ कथित भ्रष्टाचारके १० प्रकरण गिनाए थे । इसी पत्रमें यह भी आरोप लगाया गया था कि सानाने इस प्रकरणमें निर्दोष सिद्ध होनेके लिए सीबीआई प्रमुखको दो कोटि रुपये दिए ! सूत्रोंके अनुसार यह परिवाद केंद्रीय सतर्कता आयोगके पास भेजी गई, जो इस प्रकरणकी जांच कर रहा है ।
अस्थानाने प्राथमिकी प्रविष्ट होनेके चार दिवस पश्चात् केन्द्रीय सतर्कता आयुक्तको फिर लिखा कि वह सानाको बन्दी बनाना और पूछताछ करना चाहते हैं और इस सम्बन्धमें २० सितम्बर, २०१८ को निदेशकको एक प्रस्ताव भेजा गया था । अपने पत्रमें उन्होंने २४ अगस्तको कैबिनेट सचिवको लिखे अपने पत्रका भी सन्दर्भ दिया, जिसमें निदेशकके विरुद्घ कथित अनियमितताओंका विवरण दिया गया है ।
सूत्रोंके अनुसार उन्होंने कहा कि निदेशकने लगभग चार दिवसों तक फाईल कथित रुपसे रखी और २४ सितम्बर, २०१८ को उसे अभियोजन निदेशकके (डीओपी) पास भेजनेका निर्देश दिया । अभियोजन निदेशकने अभिलेखमें (रिकार्डमें) विद्यमान सभी साक्ष्य (सबूत) मांगे । सूत्रोंके अनुसार अस्थानाकी अध्यक्षता वाले दलने ही सानाके विरुद्घ लुकआउट सर्कुलर खोला, जिसने देशसे भागनेका प्रयास किया; लेकिन सक्रिय कार्यवाहीके कारण वह नहीं भाग सका ।
सूत्रोंने अस्थानाकी बातोंका सन्दर्भ देते हुए कहा कि सानासे एक अक्टूबर, २०१८ को पूछताछ की गई थी, पूछताछके मध्य सानाने बताया कि वह एक नेतासे मिला, जिसने वर्मासे भेंट करनेके पश्चात् उसे आश्वासन दिया कि इस प्रकरणमें उसे निर्दोष सिद्ध कर दिया जाएगा !
“जब बडे-बडे अधिकारी ही भ्रष्टाचारमें संलिप्त हैं तो क्या लघु स्तरके अधिकारियोंसे क्या भारतकी भ्रष्टाचारसे त्रस्त जनता क्या कोई आशा रख सकती है ? स्वयं विचार करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
Leave a Reply