कश्मीरमें आतंकियोंको चीन दे रहा है ‘स्टील बुलेट’ !


अगस्त ३१, २०१८

कश्मीरमें सक्रिय आतंकियोंको चीन स्टील बुलेटकी (गोलीकी) आपूर्ति कर रहा है । न्यायिक जांचमें स्टील बुलेटके चीनमें निर्मित होनेकी पुष्टि हुई है । इन स्टील बुलेटका प्रयोग सिर्फ ‘जैश ए मोहम्मद’के आतंकी आत्मघाती आक्रमणके समय ही कर रहे हैं ।

‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ और ‘लश्करे तैयबा’के आतंकियोंने अभी स्टीलकी गोलियोंका प्रयोग नहीं किया है । ज्ञात है कि आतंकियोंके स्टील बुलेट जवानोंके ‘बुलेट प्रूफ’ जैकेटको भेदनेमें सफल होते थे ।

केन्द्रीय अ‌र्द्धसैनिक बलसे जुडे एक वरिष्ठ अधिकारीने कहा कि आतंकियोंद्वारा प्रयोग किए गए ‘स्टील बुलेट’के चीनमें निर्मित होनेकी आशंका प्रारम्भ से थी; क्योंकि यह काफी महंगा होता है और केवल कुछ देशोंके पास ही इसे बनानेकी तकनीकी क्षमता है । इसे ज्ञात करनेके लिए इन्हें चण्डीगढकी न्यायिक प्रयोगशालामें (फारेंसिक लेबोरेटरीमें) भेजा गया । प्रयोगशालाने चीनमें बने होनेकी पुष्टि कर दी ! वरिष्ठ अधिकारीने कहा कि यह ब्यौरा गृहमन्त्रालयको भेज दिया गया है ।

यह गोली सबसे घातक आक्रमण करने वाले ‘जैश ए मोहम्मद’के आतंकियोंको ही दिया गया था । केवल उसके आतंकी ही इस गोलीका प्रयोग कर रहे हैं, शेष आतंकी एके-४७ की सामान्य गोलीका ही प्रयोग करते हैं । इसे ध्यानमें रखते हुए कश्मीरमें तैनात सुरक्षा बलोंको विशेष नूतन ‘बुलेट प्रूफ जैकेट’ दिए जा रहे हैं । इसके साथ ही उनकी वाहनोंको प्रतिरोधी बनानेके लिए स्टीलकी एक विशेष चादर चढाई गई है । यही नहीं, अभियानके समय जवानोंको ‘बुलेट प्रूफ’ कवच भी दिया जाता है ।

इसकी मारक क्षमताका अनुमान सुरक्षा बलोंको गत वर्ष ३१ दिसम्बरको हुआ । उस रात पुलवामामें ‘सीआरपीएफ’ शिविरपर आक्रमणके समय दो आतंकियोंको एक कक्षमें घेर लिया गया था । आतंकियोंको समाप्त करनेके लिए ‘सीआरपीएफ’के जवानोंने बुलेट प्रूफ कवचके साथ कक्षमें प्रवेश किया । दोनों ओर गोलीबारी हुई, जिसमें दोनों आतंकी भी मारे गए; लेकिन उनकी गोलीसे दोनों जवानोंकी भी मृत्यु हो गई !

आतंकियोंकी गोली जवानोंके बुलेट प्रूफ कवचको भेद कर लगी थी । ज्ञात हुआ कि आतंकियोंकी ओर चलाई गई गोलीका अगला भाग स्टीलका बना होनेके कारण बुलेट प्रूफ कवच उन्हें रोक नहीं पाया । सामान्य रूपसे एके-४७ बन्दूकमें प्रयोगकी जाने वाली गोलीका अगला भाग ताम्बेका बना होता है । अभी तक कश्मीरमें भी आतंकी ताम्बे वाली गोलीका प्रयोग कर रहे थे ।

स्रोत : दैनिक जागरण



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


सूचना: समाचार / आलेखमें उद्धृत स्रोत यूआरऍल केवल समाचार / लेख प्रकाशित होनेकी तारीखपर वैध हो सकता है। उनमेंसे ज्यादातर एक दिनसे कुछ महीने पश्चात अमान्य हो सकते हैं जब कोई URL काम करनेमें विफल रहता है, तो आप स्रोत वेबसाइटके शीर्ष स्तरपर जा सकते हैं और समाचार / लेखकी खोज कर सकते हैं।

अस्वीकरण: प्रकाशित समाचार / लेख विभिन्न स्रोतोंसे एकत्र किए जाते हैं और समाचार / आलेखकी जिम्मेदारी स्रोतपर ही निर्भर होते हैं। वैदिक उपासना पीठ या इसकी वेबसाइट किसी भी तरहसे जुड़ी नहीं है और न ही यहां प्रस्तुत समाचार / लेख सामग्रीके लिए जिम्मेदार है। इस लेखमें व्यक्त राय लेखक लेखकोंकी राय है लेखकद्वारा दी गई सूचना, तथ्यों या राय, वैदिक उपासना पीठके विचारोंको प्रतिबिंबित नहीं करती है, इसके लिए वैदिक उपासना पीठ जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं है। लेखक इस लेखमें किसी भी जानकारीकी सटीकता, पूर्णता, उपयुक्तता और वैधताके लिए उत्तरदायी है।

विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution