बोसके पोतेका बडा आरोप, नेहरूने ‘आजाद हिंद फौज’का किया था विरोध !


अक्तूबर २२, २०१८

नेताजी सुभाषचन्द्र बोसके पोते व पश्चिम बंगालमें भारतीय जनता पार्टीके उपाध्‍यक्ष चनवद्र कुमार बोसने कांग्रेसपर आक्रामक होते हुए कहा कि कांग्रेसने देशकी स्‍वतन्त्रताके लिए संघर्ष करने वाले सेनानियोंके इतिहासको मिटानेका प्रयास किया और भारतमें राजवंश तानाशाहीको बढावा दिया ।

बोसने कहा, “कांग्रेसने भारतीय स्‍वतन्त्रता सेनानियोंके बलिदानको स्मरण नहीं रखा । देशकी स्वतन्त्रताके लिए ख्रिस्त्राब्द १८५७ की क्रांतिसे जो आग भडकी थी, उसमें भारतीय सिपाहियों मंगल पांडे, शहीद भगत सिंह, राजगुरु, विनय बादल दिनेश और कई अन्‍यने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई; लेकिन स्वतन्त्रताके पश्चात कांग्रेसके शासनकालमें इन स्‍वतन्त्रता सेनानियं के बलिदानको भुलाने और मिटानेका कार्य हुआ । कांग्रेसने भारतको राजवंश तानाशाहीमें परिवर्तित कर दिया ।”

पूर्व प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरूको बोसने विभाजित भारतका प्रधानमन्त्री बताया । बोसने कहा, ‘नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अखण्ड भारतके प्रथम प्रधानमन्त्री थे । जवाहर लाल नेहरू विभाजित भारतके प्रथम प्रधानमन्त्री थे, अखण्ड भारतके नहीं ! भारतकी युवा पीढीको यह बताया जाना चाहिए !” उन्‍होंने बताया, “यह भी सत्य है कि जब १९४४ में आजाद हिन्द फौज दिल्‍लीमें आकर लाल किलेपर तिरंगा फहराना चाहती थी, तब नेहरू और कांग्रेसके नेताओंने इसका विरोध किया था ।”


“कांग्रेस व उनके वरिष्ठ नेताओंके कारण अनेक क्रान्तिवीरोंको अन्धकारमें खो जाना पडा व देश आज भी उनके कृत्योंका भुगतान कर रहा है, सम्भवतः उन्हीं पापकर्मोंके कारण आज यह दल विलुप्त होनेकी सीमापर है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : दैनिक जागरण

 



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