जनवरी १०, २०१९
केरलकी ३६ वर्षीय महिलाने बुधवार, १० जनवरीको दावा किया कि वह सबरीमला मंदिरमें गई थी और भगवान अयप्पा मन्दिरमें प्रार्थना की ! मुख्यमन्त्री कार्यालय और पुलिसने दलित महिला कार्यकर्ताके इस दावेका खण्डन किया कि वह मंगलवारको मंदिर गई थीं ।
चतन्नूरकी रहने वाली मंजूने ‘फेसबुक’पर लेख लिखकर दावा किया कि उसने मंगलवारको भगवानके सामने प्रार्थना की और किसी भी भक्तने विरोध नहीं किया । महिलाने लिखा है कि उसने एक ५० वर्षीय वृद्धा महिलाके वेशमें मंदिरमें दर्शन किए ! उसने इसका एक चित्र भी साझा किया है ।
महिलाने दावा किया कि मैंने मंदिर परिसरमें लगभग दो घंटे व्यतीत किए । मैंने ‘अखिल भारत अयप्पा सेवा संगम’के सदस्योंसे सहायता मांगी, जिन्होंनें प्रार्थनामें सहायता की । दो जनवरीको पुलिस कर्मियोंके सुरक्षा घेरेमें दो महिलाओंके मंदिरमें प्रवेश करनेके पश्चात राज्यमें हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए थे । मंजू उन्हीं २० राजनीतिक महिलाओंमेंसे एक है, जिसने गत वर्ष अक्तूबरमें मंदिरमें प्रवेश करनेका प्रयास किया था; परन्तु भीतर नहीं जा पाई ।
“मंजू एक कांग्रेस कार्यकर्ता है और कांग्रेस सबरीमालापर महिलाओंके प्रवेशके विरोधका दिखावा करती रही है, इससे ही कांग्रेसका वास्तविक रूप उजागर होता है और मंजू सदृश निधर्मी महिलाएं सोचती हैं कि विद्वानोंद्वारा बनाए नियमोंका अपनी अल्पबुद्धिसे प्रतिकारकर, तथाकथित समानताके सिद्धांंतको मानकर वे ईश्वरकी कृपा प्राप्त करेंगीं ? ईश्वरके उन नियमोंको तोडकर, जिनसे समष्टिकी हानि हो, व्यक्ति कृपाका नहीं वरन दण्डका पात्र बन जाता है, यह सभी तथाकथित समानताकी पक्षधर महिलाएं ध्यान रखें ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
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