फरवरी ९, २०१९
मेरठके सरधना क्षेत्रके दुर्वेशपुर गांवसे एक बडा प्रकरण सामने आया है । दुर्वेशपुर गांवमें दलित और मुस्लिम पक्षमें उपद्रव हुआ है और इसमें दलित पक्षके लोगोंको अत्यधिक चोटें आई हैं । दुर्वेशपुर गांवके दलित युवक अंकुर अपनी साइकिलसे जा रहा था, राहमें उसकी शब्बीर नामके व्यक्तिसे कहासुनी हो गई, दोनोंमें झगडा हुआ; परन्तु यह प्रकरण दोनोंमें आपसी झगडे तक ही उस समय समाप्त हो गया ।
शनिवार, ९ फरवरीको अंकुरकी चचेरी बहनका विवाह था और सन्ध्याको अपने परिजनोंको छोडने जा रहा था, तभी शब्बीर पक्षकी सभी लोगोंने उसपर आक्रमण कर दिया ।
राततक कैसे भी यह प्रकरण शांत हुआ; परन्तु रविवार, १० फरवरीको पुनः शब्बीर पक्षके लोगोंने दलितोंपर आक्रमण कर दिया ! शब्बीर पक्षकी संख्या अधिक थी, इसीकारण दलित पक्षके लोगोंको पीटा गया और लहूलुहान किया गया ।
इसकी सूचना पुलिसको दी गई; शीघ्र ही पुलिस वहां पहुंच गई और प्रकरणको शांत करवाया गया । चोटिल लोगोंको चिकित्सालयमें प्रविष्ट करवाया गया है, पुलिस अब प्रकरणकी जांच कर रही है और दोषियोंपर कार्यवाहीका विश्वास दिलाया है ।
“क्या पुलिस धर्मान्धोंकी इस्लामिक शिक्षा व विष समाप्त कर पाएगी और प्रत्येक स्थानपर भी उचित समयपर पुलिस पहुंचे, यह सम्भव नहीं ! गत दिवसोंमें आगराके निकट भी ऐसे ही उपद्रवका प्रकरण उजागर हुआ था, जिसमें धर्मान्धोंद्वारा दलितोंकी पिटाई की गई थी ! प्रकाश अम्बेडकर और नीली गैंग सदृश तथाकथित दलित हितैषी इसपर मौन क्यों हैं ? क्या उनका दलितवाद केवल दिखावेके लिए है ? बुद्धिजीवि और धर्मनिरपेक्ष हिन्दू भी इसपर मौन है, सम्भवतः वे धर्मान्धोंका अपने घरोंतक आनेकी प्रतीक्षा कर रहे हैं, तबतक सब भाई-भाई हैं ! और समाचार माध्यमोंका मौन तो सबसे अधिक आश्चर्यजनक है, सम्भवतः आक्रमणकारी शान्तिदूत है; इसलिए मौन हैं ! शासन इसपर कडीसे कडी कार्यवाही करे; अन्यथा इस इस्लामिक विषको प्रत्येक स्थानपर फैलनेमें समय नहीं लगेगा और इससे देशकी आन्तरिक व बाहरी सुरक्षापर भी संकट उत्पन्न होगा !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : दैनिक भारत
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