देहलीकी श्रीमती अन्तिमा गोएलकी अनुभूति


दीपावलीके दिवस देवघरमें चढाई गई मालाएं, श्वेतसे बैंगनी हो गईं
इस वर्ष (२०१६) हमने दीपावलीके दिवस, सन्ध्या समय भगवान श्रीकृष्ण, दत्तात्रेय देवता एवं तनुजा मांके छायाचित्रोंपर मोगरेकी मालाएं अपने पूजाघरमें चढाई थी। वे सभी मालाएं अगले दिवस प्रातःकालसे बैंगनी होनी आरम्भ हो गईं । पितृपक्षके मध्य भी जिस दिवस, मैं पूज्या मांके केशमें गजरा लगाती थी, वह भी बैंगनी हो जाता था और यह तीनों दिवस हुआ ।
(दीपावलीके दिवससे ही उपासनाके आश्रमके ध्यान कक्षमें चढाई जानेवाली मालाएं एवं तनुजा मांके कक्षामें भक्तराज महाराज, प.पू. डॉ. आठवले एवं शिवजीके छायाचित्रोंपर लगी मालाएं अनेक बार बैंगनी हो चुकी हैं । बैंगनी रंग शक्तिके मारक तत्त्वका (महाकालीके तत्त्वका) प्रतीक है । – सह सम्पादक)

श्रावण माहके अन्तिम सोमवार १५.०८.२०१६ के सामूहिक जपयज्ञमें हुई देहलीकी श्रीमती अन्तिमा गोएलकी अनुभूतियां
जपयज्ञके दूसरे सत्रमें पूरे शरीरमें थरथराहट थी और ऐसा लग रहा था कि कोई धरतीसे ऊपर उठा रहा है ।
तृतीय सत्रके आरम्भसे ही पूरे बायीं ओर अत्यधिक वेदना हो रही थी ।
चतुर्थ सत्रमें परम पूज्य गुरुदेवके पीले ‘पायदान’से बहुत सारा पीला रंग ऊपर उठा और उसे देखकर मुझे भय लगा, उस समय मैं उनके बायीं चरण पादुकाके नीचे छुपकर बैठ गई ।
अन्तिम सत्रमें बहुत स्वेद (पसीना) आ रहा था जबकि पंखे चल रहे थे और बाहरसे भी शीतल वायुका प्रवाह था ।
अनुभूतिका विश्लेषण : इस साधकको अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट है; अतः इसप्रकारकी जपयज्ञके मध्य उन्हें कष्टप्रद अनुभूतियां हो रही थीं ।
उत्तर भारतके साधकोंमें नामजप या समष्टि साधनाका संस्कार अंकित करने हेतु वैदिक उपासना पीठद्वारा विशेष व्रत-त्योहारमें सामूहिक नामजपका आयोजन किया जाता था; किन्तु अब मासिक पत्रिका आ चुकी है, अतः अब उस समय समष्टि साधनाके रूपमें समाजमें जाकर मासिक वितरणकी सेवाकी जाती है सम्पादक

                                                                                                                                                                -अंतिमा गोयल, देहली



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