सितम्बर २८, २०१८
दिल्ली उच्च न्यायालयने तीन तलाक अध्यादेशको चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवारको रद्द कर दी । इस अध्यादेशमें तीन बार तलाक बोलकर पत्नीको तलाक देनेपर तीन वर्ष कारावास अथवा अर्थदण्डका प्रावधान है । दिल्ली उच्च न्यायालयके मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश वी. कामेश्वर रावने कहा कि तीन तलाकको उच्चतम न्यायालयद्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है और अब इसपर निर्णय करना शासनके हाथमें है ।
न्यायालय अधिवक्ता शाहिद आजादद्वारा प्रविष्ट याचिकापर सुनवाई कर रहा था । याचिकामें कहा गया, अध्यादेश मनमाना और अनावश्यक है और एक कठोर, अमानवीय, अनुचित और अस्पष्ट विधानको अस्तित्वमें लाता है, जो अध्यादेशकेद्वारा संसदके सम्मान और जिन लोगोंका विश्वास भारतके धर्मनिरपेक्ष संविधानमें निहित है, उनके सम्मानमें कमीको दशार्ता है । केन्द्रीय मन्त्रिमण्डलने गत सप्ताह अध्यादेशको स्वीकृति दी थी ।
“आश्चर्य है, आज भी ऐसे प्राणी उपस्थित है, जो एक घिसे-पिटे और शोषण करने वाले तथाकथित शरिया विधानको बनाए रखना चाहते हैं ! ईश्वर इन्हें तनिक बुद्धि दे जिससे ये कीचडसे बाहर आकर सत्य देखें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : लाइव हिन्दुस्तान
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