सितम्बर ३०, २०१८
दिल्ली उच्च न्यायालयने शनिवारको बाबा रामदेवकी याचिकापर सुनवाई करते हुए उनपर लिखी गई पुस्तक ‘गॉडमैन टू टाइकून’के प्रकाशन और विक्रयपर प्रतिबन्ध लगा दिया है । न्यायालयने कहा कि जबतक पुस्तकके उन अंशोंको, जिसमें रामदेवके बारेमें कुछ अपमानजनक बातें लिखी गई हैं, हटा नहीं ली जाती, तब तक पुस्तकके प्रकाशन और विक्रयपर प्रतिबन्ध लगा रहेगी ।
प्रकरणकी सुनवाई कर रही न्यायाधीश अनु मल्होत्राने अपनी २११ पृष्ठकी पुस्तकमें ये बातें रेखांकित की हैं कि बोलने, लिखनेकी स्वतन्त्रताका अर्थ यह नहीं कि आप किसीके बारेमें कुछ भी लिख दें । बोलने और लिखनेकी स्वतन्त्रताका अधिकार आपको किसी योग गुरुके विरुद्घ किसी भी प्रकारकी कोई अपमानजनक बात लिखनेकी आज्ञा नहीं देता ।
इसके पूर्व न्यायालयने ४ अगस्त २०१७ से पुस्तक ‘गॉडमैन टू टाइकून’पर लगे प्रतिबन्धको इसी वर्ष अप्रैलमें हटा लिया था, जिसके पश्चात रामदेवने ट्रायल दिल्ली उच्च न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट की ।
प्रकाशकोंका कहना है कि पुस्तकमें रामदेवद्वारा चलाई जा रहे उद्योग ‘पतंजली’के बारेमें विस्तारसे लिखा गया है ।
दिल्ली उच्च न्यायालयने रामदेवकी याचिकापर सुनवाई करते हुए कहा कि बाबा रामदेवको सम्मानके अधिकारी हैं । भले ही उनकी एक पहचान है, लेकिन इसके पश्चात भी उन्हें एक सामान्य नागरिकके रूपमें सामाजिक प्रतिष्ठाका अधिकार है । यदि पुस्तकके उन अंशोंको नहीं हटाया गया तो रामदेवकी छविपर गहरा प्रभाव पडेगा । न्यायालयने पुस्तकके उन अंशोंको हटानेका आदेश दिया है, जिसमें स्वामी शंकर देवके गुम होने और स्वामी योगानन्दकी हत्याके पीछे रामदेवके हाथकी बात लिखी गई है ।
स्रोत : जनसत्ता
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