मई १, २०१९
देहलीके जामा मस्जिद क्षेत्रसे एक व्यक्तिद्वारा अपने मित्रकी ही पुत्रीसे छेडछाड करनेका समाचार आया है । यहां ४० वर्षीय समीर अहमद (परिवर्तित नाम) अपनी पत्नी, दो पुत्रों और ११ वर्षीय पुत्रीके साथ जमा मस्जिदकी गोदनीवाली गलीमें रहता था । समीर उच्चतम न्यायालयके पुस्तकालयमें विद्युत मिस्त्रीका (इलेक्ट्रिशियनका) कार्य करता था । समीरकी ही भांति जामा मस्जिद क्षेत्रमें ही रहनेवाला गुलाम मुसतफा भी वहीं विद्युत मिस्त्रीका कार्य करता है । गुलाम और समीर मित्र थे । गुलाम प्रायः समीरके घर आया-जाया करता था । दोनों ही एक-दूसरेके घर सदैव आते-जाते रहते थे और खाना-पीना भी साथ खाते थे । रविवार, २८ अप्रैलको समीर जब घर आया तो उसकी अव्यस्क पुत्रीने परिवाद की कि गुलाम अंकल उसके साथ अनुचित कृत्य करते हैं ।
इसपर समीरको क्रोध आया और उसने गुलामको भ्रमणभाषकर तुरन्त घर आनेको कहा । जब गुलाम आया तो समीरने उसकेद्वारा अपनी पुत्रीके साथ छेडछाड किए जानेको लेकर प्रश्न पूछनेके लिए वार्ता आरम्भ की । दोनों छतपर बात कर रहे थे । दोनोंने छतपर ही खाना भी खाया । खाते-पीते और वार्ता करते प्रातः ४ बजेसे भी अधिकका समय हो गया । इसके पश्चात समीरने उससे अपनी पुत्रीके साथ अनुचित कृत्य किए जानेको लेकर प्रश्न पूछा तो गुलामको क्रोध आ गया और उसने समीरको ५वें तलसे (मंजिलसे) नीचे फेंक दिया । समीर नीचे गलीमें आकर गिरा । गुलामने समीरको नीचे फेंकनेके पश्चात भागनेका प्रयास किया; परन्तु पुलिसने प्रकरण प्रविष्ट करनेके पश्चात उसे बन्दी बना लिया ।
समीरको एलएनजेपी चिकित्सालय ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया । पुलिसने गुलामके विरुद्ध हत्या और ‘पॉक्सो अधिनियम’के अन्तर्गत प्रकरण प्रविष्ट कर लिया है । आरोपी गुलाम मुसतफाको बन्दी बना लिया गया है । उसकी आयु २३ वर्ष है । आरोपीको न्यायालयमें प्रस्तुत किया गया, जहांसे उसे कारावास भेज दिया गया । पुलिसने समीरके शवको परीक्षण करनेके पश्चात परिवार वालोंको सौंप दिया है । गुलामने पुलिससे कहा कि उसका भाव हत्या करनेका नहीं था वरन मद्यके नशेमें उसने समीरको धक्का दिया और वो नीचे गिर गया । जब समीर नीचे गिरा, तब पडोसियोंकी दृष्टि उसपर पडी और उसे चिकित्सालय पहुंचाया गया; परन्तु वह बच नहीं सका और उसकी मृत्यु हो गई ।
“वह कौनसी मानसिकता है, जो धर्मान्धोंको अपने ही मित्रकी पुत्री स्वरुप बच्चीपर कुदृष्टि डालनेका आदेश देती है । नारीको पांवकी जूती और बच्चे देनेवाली मशीन समझनेवाले धर्मान्ध अब छोटी-२ बच्चियोंको भी नहीं छोडते हैं । वासनान्ध धर्मान्धोंकी इस इस्लामिक मानसिकताका परिणाम निर्दोष बालिकाओंको बनना पडता है । ”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : ऑप इण्डिया
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