देव स्तुति


श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै ।

शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै ॥ 

अर्थ :  माते ! शुभ कर्मोंका फल देनेवाली श्रुतिके रूपमें आपको प्रणाम है । रमणीय गुणोंकी सिन्धुरूपा रतिके रूपमें आपको नमस्कार है । कमल वनमें निवास करनेवाली शक्तिस्वरूपा लक्ष्मीको नमस्कार है तथा पुष्टिरूपा पुरुषोत्तम प्रियाको नमस्कार है ।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution