‘देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यं’


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तैतिरीय उपनिषदमें कहा गया है कि ‘देवपितृकार्याभ्यां न प्रमदितव्यं’ अर्थात देव और पितर हेतु बताए गए धर्माचरणमें तनिक भी उंच-नीच नहीं होनी चाहिए | – पू. तनुजा ठाकुर

 



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