आजकल हमारी जीवन शैली आधुनिकीकरण की दौडमें तमोगुणी होती जा रही है फलस्वरूप बच्चोंको गर्भसे ही अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट रहता है और ऐसे बच्चे ज्यों-ज्यों बडे होते हैं, उनके कष्टका प्रकटीकरण अनेक समस्याओंके माध्यमसे होने लगता हैं। अतः बच्चोको शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक पोषणके साथ ही आध्यात्मिक पोषण भी अवश्य दें यह काल की मांग है और आदर्श पालकत्वके लक्षण हैं -तनुजा ठाकुर
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