त्रिगुणातीत संतोंके आगे राजसिक और तामसिक व्यक्तिने नमन करना चाहिए


कई बार मेरे कार्यक्रममें कुछ शुभचिंतक, नेता, अभिनेता, क्रिकेटर जैसे प्रसिद्ध व्यक्तिको मुख्य अतिथिके रूपमें बुलानेका हठ करते हैं उन्हें लगता इससे कार्यक्रमको प्रसिद्धि सहजतासे मिलेगी; परंतु मेरा ऐसा मानना है कि आजके नेता, अभिनेता ये सब अधिकांशतः रजोगुणी और तमोगुणी होते हैं, जिनके लिए धन एवं ऐश्वर्य ही उनके देवता होते हैं, वस्तुतः मेरे त्रिगुणातीत सद्गुरुके संकल्प मात्रसे सर्व कार्य यशपूर्वक सम्पूर्ण हो सकता है ऐसा मेरा सोचना है, अतः कार्यसिद्धि हेतु मुझे किसी भी रज एवं तम प्रधान व्यक्तित्त्वकी प्रसिद्धिकी सीढीकी आवश्यकता नहीं ! सत्यको प्रसारित होनेमें कलियुगमें थोडा समय अवश्य लग सकता है परंतु जब वह पसरता है तो एक दावानलका रूप धारण कर लेता है, ऐसी शक्ति धर्म और सत्यमें ही मात्र निहित है यह मैं अपने सभी शुभचिंतकोंकों बताना चाहती हूं ! इस बार मैं महाकुंभमें गयी थी और मैंने पाया कि अधिकांश संत (???? ) फिल्मी नटों और आदर्शहीन राजनेताओंको अपने शिविरमें बुलानेमें व्यस्त थे और इसे ही वे अपने प्रसिद्धिका माध्यम एवं संतत्त्वका  मापदंड मान रहे थे ! इन संतोंको रजोगुणी और तमोगुणी व्यक्तिका आधार लेना पड रहा है, क्या यह अपनेआपमें इनके संतत्वपर प्रश्नचिन्ह खडा नहीं कर देता है ! त्रिगुणातीत संतोंके आगे राजसिक और तामसिक व्यक्तिने नमन करना चाहिए इसके विपरीत हो तो समझ लें दालमें कुछ काला है ! -तनुजा ठाकुर (२०.०८.२०१४)


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