धर्मधारा सत्संगके एक श्रोताने कहा है कि आप अंग्रेजीमें सत्संग क्यों लेती हैं ?, आप सनातन धर्मका प्रसार करती हैं, अतः मात्र हिन्दीमें ही सत्संग लें ! धर्मधारा श्रव्य (ऑडियो) सत्संग विश्वके लगभग २५ देशोंके जिज्ञासु एवं साधक सुनते हैं, इनमें ऐसे अनेक जिज्ञासु या साधक है, जिन्हें हिन्दी ठीकसे नहीं समझमें आती है, उनके आग्रहपर ही हमने अंग्रेजीमें इसे आरम्भ किया है; क्योंकि जिन्हें हिन्दी नहीं आती है, उन्हें भी धर्म एवं साधना सीखनेका अधिकार है ।
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