पूर्व कालमें जब किसी आसुरी प्रवृत्तिवाली स्त्रीका चित्रण करना होता था तो खुले केश, लंबे नाखून और अल्प वस्त्रके रूपमें उसे अंकित किया जाता था। आजकी आधुनिक स्त्रियोंको इस प्रकारकी वेषभूषा अत्यधिक आकृष्ट करती है ! वैसे ही काम वासनाका प्राबल्य असुर-पुरुषका द्योतक था ! आज परस्त्रीको वासनाकी दृष्टिसे देखना यह सामान्य सी बात है !! जिस समाजमें इस प्रकार की प्रवृत्ति प्रबल हो वहां आप सुराज्यकी कल्पना कोई कर सकते हैं ! इस स्थिति को परिवर्तित करने हेतु हिन्दुओंमें साधना एवं धर्माचरणका संस्कार अंकित कर उन्हें सर्वप्रथम सुसंस्कृत करना होगा ! – तनुजा ठाकुर
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