आलसी अशक्त पुरुषोंकी संख्यामें हो रही है वृद्धि !


वैदिक उपासना पीठके आश्रममें पिछले तीन वर्षोंसे देश-विदेशके अनेक पुरुष दस-पन्द्रह दिवस सेवाके लिए आते रहे हैं । मैंने इनमेंसे जिस भी युवा पुरुषको आश्रमसे ७०० मीटरकी दूरीपर स्थित मण्डीसे आठ-दस किलो तरकारी लाने हेतु कहा है, तब-तब सभी पुरुषोंका एक ही कहना रहा है, ” चलकर और हाथमें तरकारी लेकर इतनी लम्बी दूरी कैसे तय करेंगे ?” मैं उनके इस वक्तव्यको सुनकर आश्चर्यचकित हो जाती हूं ! हिन्दू स्त्रियो ! यदि आपके घरमें भी ऐसे निर्बल, आलसी और अकर्मण्य पुरुष हैं, तो कृपया सावधान हो जाएं और आनेवाले भीषण कालमें अपने शील एवं प्राणोंकी रक्षा हेतु स्वयंसिद्ध हो जाएं !

और ऐसे बलहीन और आलसी पुरुषोंके लिए मेरा एक सन्देश है जिसे कृपया गम्भीरतासे लें ! आनेवाले दो-तीन वर्षोंमें ही सम्पूर्ण भारतके गली-कूचोंमें साम्प्रदायिक उत्पात होंगे, यह कालानुसार अवश्यम्भावी है, ऐसेमें आपसे, आपके घरके वृद्ध, स्त्री एवं बच्चोंके रक्षणकी हम कोई अपेक्षा नहीं रखते हैं; किन्तु ‘कमसे कम’ आप स्वयं उन अराजक तत्त्वोंसे अपने प्राणोंके रक्षण करने हेतु एक ‘किलोमीटर’ दौड सकें, इस हेतु अभीसे थोडा शारीरिक बल बढानेका प्रयास करें ! मुझे ज्ञात है कि मेरी यह कडवी घुट्टी आपके लिए असहनीय है; किन्तु यदि आप दस किलोका भार उठाकर एक किलोमीटर नहीं चल सकते हैं तो आपसे, आपातकालमें किसीके रक्षणकी हम कोई आशा भी कैसे रख सकते हैं ?  – तनुजा ठाकुर

 



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