धनके योग्य उपयोग न होनेपर उसका नाशकी ओर प्रवृत्त होना


शास्त्र अनुसार धनकी तीन गति होती है भोग, दान या नाश । केंद्र शासनद्वारा ५०० या १००० के नोटपर लगाए गए प्रतिबन्धके कारण, इस देशके भ्रष्टाचारियोंके धन, तीसरी गतिकी ओर अनुक्रमण करने लगी है। कहीं बोरियोंमें भरकर नोट जलाए जा रहे हैं तो कहीं फेंके जा रहे हैं  -तनुजा ठाकुर  (१०.११.२०१६)



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