किसी भी परिस्थितिमें जो गुरु या ईश्वरसे कोई उपालम्भ (शिकायत) नहीं रखता, अपितु उस परिस्थितिको ईश्वरने कुछ सिखाने हेतु निर्माण किया है, यह सोचकर प्रतिकूल परिस्थितियोंमें भी कृतज्ञताका भाव रख जो साधनारत रहता है, वह साधक कहलानेका अधिकारी है ! – तनुजा ठाकुर
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