धर्मधारा


जिन राजनीतिक दलोंको अब प्रत्येक बातके लिए न्यायालयकी शरण लेनी पडती हो, ऐसे दल और उसके राज्यकर्ता समाज और राष्ट्रके लिए नियम बनानेकी योग्यता रखते हैं क्या ? वह दिन दूर नहीं होगा जब वे अपने बनाए हुए नियमोंके लिए स्वयं ही न्यायालयका चक्कर लगाते हुए दिखाई देंगे ?



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