निःसंकोच सनातन धर्मके सिद्धान्तको अपनाकर अपने जीवनको यशस्वी बनाएं !


यदि कोई व्यक्ति किसी अट्टालिकाके सौवें तलेपर हो तो उसे नगर सर्वाधिक व्यापक स्तरपर दिखाई देगा, उसी प्रकार सनातन धर्मके ऋषि, मुनि और पूर्णत्व प्राप्त सन्तोंकी सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियां १००% कार्यरत रहीं हैं; अतः उनकेद्वारा प्रतिपादित मृत्यु उपरान्तकी यात्रा या सूक्ष्म जगतके ज्ञानके विरोधमें जो भी अपने विचार रखते हैं, वे पूर्ण सन्त नहीं, यह मापदण्ड ध्यान रखें और सनातन धर्म विरोधी विचारधाराको प्रतिपादित करनेवाले पन्थोंकी अपेक्षा सनातन धर्मके सिद्धान्तको अपनाकर अपने जीवनको यशस्वी बनाएं !



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