सात्त्विक जीवन प्रणाली कैसे करें व्यतीत ? (भाग – ३)


अ. प्रातःकाल उठनेके पश्चात् नियमित अपनी प्रकृति एवं आयु अनुरूप व्यायाम या योगासन एवं प्राणायाम करें ! वैज्ञानिक सुख-संसाधनोंने आजकल लोगोंको अतिशय आलसी बना दिया है एवं लोगोंकी शारीरिक क्षमता दिन-प्रति-दिन घटती जा रही है एवं शारीरिक श्रमके अभावमें अनेक शारीरिक रोग, महामारी समान समाजमें फैल रहे हैं । अपनी शारीरिक क्षमताको बढाने हेतु या बनाए रखने हेतु शारीरिक श्रम करना एवं शारीरिक श्रमवाले व्यायाम या यौगिक क्रियाएं करना अति आवश्यक होता है । शरीरमें क्षमता रहनेपर हमारे अन्दर आत्माविश्वास बढता है; अतः शारीरिक क्षमता बढाकर सबल बनें एवं आनेवाले कालमें सर्वत्र साम्प्रदायिक उपद्रव होंगे; अतः इस स्थितिकी पूर्वसिद्धता अभीसे करें, इस हेतु स्वसंरक्षण प्रशिक्षण लें एवं उसका नित्य अभ्यास करें जिससे आप स्वयं एवं अपने कुटुम्बके सदस्योंका आवश्यकता पडनेपर रक्षण कर सकें ।
आ. व्यायामशालामें व्यायाम करते समय पाश्चात्य संगीत या धुन न सुनें, इससे व्यायाम करते समय जो शरीरकी कोशिकाओंमें स्थित काली शक्तिका विघटन होना चाहिए, वह नहीं हो पाता है, अपितु उसकी वृद्धि होती है, जिस कारण व्यायामका यथोचित लाभ नहीं मिलता । व्यायाम करते समय नामजप करें, इससे आपकी प्राणशक्तिमें वृद्धि होगी, आपको थकावट नहीं होगी तथा शरीरमें स्थित काली शक्तिका विघटन होगा, साथ ही मन एवं बुद्धिपर निर्माण हुए काले आवरणमें न्यूनता आएगी । ध्यान रहे, पाश्चात्य संगीत मूलतः तमोगुणी होता है एवं इन्हें सुननेसे मानसिक समस्याएं जैसे अवसाद, द्विध्रुवीय विकार इत्यादि कष्ट निर्माण होनेकी आशंका बढ जाती हैं  – तनुजा ठाकुर  (क्रमश:)



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