धर्मधारा


कुछ लोग कहते हैं कि हिंदीको हमारे संविधानने मातृभाषाके रूपमें मान्यता नहीं दी है; इसलिए यह राष्ट्रभाषा नहीं है । किसी भी देशकी राष्ट्रभाषा, उसकी संस्कृतिका अभिज्ञान (पहचान) कराती है, भारत एक हिन्दू बहुल देश है और हिन्दी इसकी राष्ट्र भाषा अनेक शतकोंसे रही है; अतः आज भी हिंदी ही हमारी राष्ट्रभाषा है ! स्वतन्त्रता पश्चात, सात्त्विक गोमाताको भी राष्ट्र पशुके रूपमें मान्यता देनेके स्थानपर तामसिक बाघको ‘राष्ट्र पशु’ बनाया गया है, इसका अर्थ यह थोडे ही है कि मुट्ठी भर निधर्मी और बुद्धिभ्रष्ट राज्यकर्ताओंके कहनेसे सत्य परिवर्तित हो जाएगा ! यह तो वही बात हुई जैसे कुछ शतक पूर्व तक पाश्चत्य मानते थे कि पृथ्वी स्थिर और सूर्य उसकी परिक्रमा करता है ! मुट्ठी भर अज्ञानीके कहनेसे सत्य परिवर्तित नहीं हो सकता है । सत्य, सत्य ही रहता है चाहे उसे कोई माने या न माने ! वैसे ही गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है, गोमाता राष्ट्रीय पशु और संस्कृतनिष्ठ हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और भारत एक हिन्दू राष्ट्र, यह एक चिरन्तन सत्य है ! मात्र कुछ वर्षोंकी बात है २०२३ में हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाके साथ ही ये सारे तमोगुणी और रजोगुणी राष्ट्रीय प्रतीकको परिवर्तित कर सात्त्विक प्रतीकोंसे परिवर्तित कर दिया जायेगा !



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution