पिछले कोटि-कोटि वर्षोंसे यह वसुंधरा प्रदूषणविरहित थीं । विकसित देशोंके तथाकथित राष्ट्रवादने मात्र पृथ्वीपर ही नहीं अपितु चन्द्र, भिन्न आकाशमण्डलों एवं अन्य ग्रहोंपर भी प्रदूषण फैलाया है, इसे प्रगति थोडे ही कहते है, यह तो मानवके विनाशके लिए अपने ही हाथोंसे अपने पैरपर कुल्हाडी मारने समान है । आज इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तु, ‘फ़ाइबर’, अणु और परमाणु जैसी अनेक वैज्ञानिक वस्तुओंसे संबन्धित अवशेष या उनके जीर्ण-शीर्ण अवयय इस पृथ्वीके अस्तित्त्वके लिए विनाशकारी हो गए हैं ! ऐसी संकुचित वैज्ञानिक उपलब्धियोंपर, जो तात्कालिक हैं, स्वयंको प्रगत कहनेवाले और उसी प्रकार मनुष्य जातिके लिए विनाशक अस्त्र-शस्त्र बनाकर दानवी तत्त्वोंके हाथोंमें स्वार्थ सिद्धि हेतु देनेवाले, पृथ्वीपर त्राहिमाम् करानेवाले राष्ट्र एवं परराष्ट्रके शोषणका पोषण करनेकी प्रवृत्ति वालेको प्रगत राष्ट्रकी उपाधि कदापि नहीं दी जा सकती है ! -तनुजा ठाकुर
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