आजके प्रसारमाध्यम (भिन्न प्रकारके नियतकालिक, समाचारपत्र, समाचार वाहिनियां) पाश्चात्योंका अन्धा अनुकरणकर, स्वयंको नग्न या अर्धनग्नकर छायाचित्र खिंचवाकर उसका सार्वजनिक प्रदर्शन करनेवाली निर्लज्ज स्त्रियोंके छायाचित्रोंको प्रकाशितकर कहते हैं कि ‘अमुक-अमुक’ स्त्रीका बोल्ड अवतार (छायाचित्र) देखें !’
ऐसी स्त्रियां तो हीन भावनाओंसे ग्रसित होती हैं एवं अपनी विक्षिप्त मानसिकताका प्रदर्शन करने हेतु अपनी प्रकृति-प्रदत्त स्त्री-सुलभ लज्जाका परित्यागकर ओछी प्रसिद्धि पाने हेतु ऐसा करती हैं, यह तो समझमें आता है; किन्तु ‘बुद्धिजीवी’ कहे जानेवाले पत्रकार, किस मानसिकता एवं बुद्धिमत्तासे ग्रसित होते हैं जो ऐसी कामुक मानसिकतासे पीडित स्त्रियोंको ‘बोल्ड’की उपाधि दे डालते हैं ?, यह आजतक मुझे समझमें नहीं आया । ‘बोल्डनेस’के नामपर अश्लीलता परोसनेवाली आजकी पत्रकारिता अपनी विकृत मानसिकताकी सभी सीमाओंको पार कर चुकी है; अतः आगामी हिन्दू राष्ट्रमें आदर्श पत्रकारिता कैसी होनी चाहिए ?, इसकी भी विधिवत शिक्षा देनी होगी ।
और स्त्रियो ! स्वयंको सार्वजनिक रूपसे नग्न या अर्ध नग्न करनेको ‘बोल्डनेस’ नहीं, विक्षिप्तता कहते हैं; क्योंकि इस विश्वमें किसी भी सभ्य समाजमें स्वयंके प्रयाससे नग्न या अर्ध नग्न होकर अपने शरीरके कामुकताके उन्मादको प्रदर्शन करना या अन्योंद्वारा बलात (जबरन) प्रयासकर स्त्रीको नग्न या अर्ध नग्न करना, यह एक निन्दनीय कृत्य है । अन्यथा द्रौपदीको निर्वस्त्र करनेका प्रयास करनेवाले दुर्योधनका सर्वनाश साक्षात परमेश्वरस्वरूपी भगवान श्रीकृष्ण, भीमद्वारा नियमबाह्य आचरणकर क्यों करवाते ? ध्यान रहे, पाप करनेवाले एवं उसका साथ देनेवाले, दोनों समान रूपसे पापी होते हैं; इसीलिए द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह जैसे महारथियोंको भी अपने कर्मोंके फल भोगने पडे थे, महाभारतकी कथा हमें यह शिक्षा देती है !
अत्यन्त विनम्रतासे अपने पत्रकार बन्धुओंको बताना चाहूंगी कि ‘बोल्ड’ तो मीरा बाई थीं, जो आततायी मुगलोंके कालमें भी कृष्ण भक्तिके सहारे निर्भीक होकर अपनी युवावस्थामें विलक्षण सौन्दर्ययुक्त होनेपर भी सर्वत्र एकाकी भ्रमणकर, कृष्ण भक्तिका प्रसार करती हुई कृष्णमें लीन हो गईं । वे ‘बोल्ड’ थीं; क्योंकि उन्होंने राजघरानेके सर्व अत्याचार सहे; किन्तु भक्ति नहीं छोडी । रानी होकर भी साधुओंकी भक्त मण्डलीमें कृष्ण भक्तिमें लीन होकर भजन गाती हुई अपने कृष्णको रिझाने हेतु सर्व राजसी मर्यादाओंको लांघकर उनकी धुनमें नृत्य करती थीं । ‘बोल्ड’ तो अहिल्या बाई होलकर, रानी लक्ष्मी बाई, रानी पद्मिनी, रानी दुर्गावती, रानी कर्णावती (कर्मवती), महारानी तपस्विनी, सिन्धके राजा दाहिरकी पत्नियां और पुत्रियां थीं; अतः अपनी बुद्धिमत्ताका परिचय दें, मूढ पाश्चात्योंके ‘बोल्डनेस’की घृणित उपमासे भारतीय संस्कृतिको दूषित न करें, यह एक अक्षम्य समष्टि अपराध कर रहे हैं आप सब, जिसका कोई प्रायश्चित सम्भव नहीं, यह ध्यान रखें ! (६.९.२०१७)
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